नई दिल्ली । तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से रविवार को भेजे गए वार्ता प्रस्ताव पर किसान संगठनों के नेता मंगलवार को कोई फैसला नहीं ले सके। इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत करनी है अथवा नहीं, यह फैसला संयुक्त किसान मोर्चा आज यानी बुधवार दोपहर की बैठक में लेगा। किसान संगठन अब भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। उधर, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने एक बार फिर भरोसा जताते हुए कहा कि किसान संगठन जल्द ही निर्णय लेकर सरकार के साथ वार्ता करेंगे।
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को सात घंटे चली मैराथन बैठक के बावजूद संयुक्त मोर्चा के नेता सरकार के बातचीत के निमंत्रण पर अंतिम फैसला नहीं कर सके। संयुक्त मोर्चा बुधवार को एक बार फिर दोपहर दो बजे बैठक करेगा। इसके बाद सरकार से बातचीत का सिलसिला शुरू करने अथवा नहीं करने पर फैसला किया जाएगा। किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने बताया कि मंगलवार को 32 किसान संगठन नेताओं की बैठक हुई है। जिससे सरकार के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया है। इस विषय पर बुधवार को फैसला किया जाएगा।
किसान नेताओं ने कहा कि ब्रिटेन के सांसदों को पत्र लिखेंगे। जिसमें अग्रह किया जाएगा कि आगामी 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर शामिल नहीं होने का दबाव डालें। विदित हो कि जॉनसन इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथ होंगे।
कई किसान संगठन कानून में संशोधन नहीं चाहते: तोमर
मंगलवार को दिल्ली और उत्तर प्रदेश के उत्तर प्रदेश किसान संघर्ष समिति व दिल्ली का इंडियन किसान यूनियन ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात कर कृषि कानूनों के प्रति समर्थन जताया है। इस मौके पर तोमर ने कहा कि विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि कानून के समर्थन में आ चुके हैं। यह किसान संगठन कानून में संशोधन नहीं चाहते हैं। तोमर ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन जल्द ही वार्ता के लिए सामने आएंगे। और हम मिलकर सफलतापूर्वक समाधान निकाल लेंगे। बैठक में राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर व उत्तराखंडके पूर्व मंत्री राम कुमार वालिया उपस्थित थे।