यूपी के रामपुर में शिक्षकों का मेडिकल कराने के नाम पर एक-एक हजार रुपये वसूली किए जाने का मामला तूल पकड़ गया है। मेडिकल के नाम पर एक-एक हजार रुपये वसूले जाने के मामले में स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में आ गया है। सीएमओ ने इस मामले में अपने स्टेनों को मेडिकल के काम से हटा दिया है,जबकि दो संविदा कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है। इस प्रकरण की जांच बैठा दी गई है। साफ किया गया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री की मंशा भले ही भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी नौकरी देनी की रही हो,लेकिन अफसरशाही सीएम की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। हाल ही में बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से शिक्षकों की भर्ती की प्र्त्रिरया की गई है। इसके तहत रामपुर में नौ सौ से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। काउंसलिंग के बाद उनको नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए गए थे। नियुक्ति पत्र जारी होने के बाद अब उनको स्कूलों का आवंटन होना है।
इससे पहले नियमानुसार उनका मेडिकल भी कराया गया था। सोमवार को मेडिकल कराने की कार्रवाई शुरू की गई थी। इस बीच तमाम शिक्षकों ने मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर एक-एक हजार रुपये वसूले जाने का भी आरोप लगाया। हालांकि इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग विभाग शुरू में इन आरोपों को नाकारता रहा।
विभागीय अफसरों व कर्मियों पर एक-एक हजार रुपये वसूले जाने का मामला अब गर्मा गया है। मामला गर्माने पर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अमला स्त्रिरय हो गया है। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने इस मामले में सीडीओ व नगर मजिस्ट्रेट को जांच सौपी है,जबकि मुख्य चिकित्साधिकारी डा.सुबोध कुमार शर्मा ने भी इस मामले की जांच के लिए तीन उप मुख्य चिकित्साधिकारियों की कमेटी बनाई है। जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कही है। देर शाम सीएमओ ने इस मामले में संविदा पर तैनात दो कर्मियों संजय और अरुण की सेवा समाप्त कर दी है, जबकि उन्होंने अपने स्टेनों नीरज को मेडिकल के काम से हटा दिया है। शेष जांच अभी जारी है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
-स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल के नाम पर एक-एक हजार वसूली की लिखित शिकायत नहीं मिली है,लेकिन सोशल मीडिया पर मिल रही शिकायतों के आधार पर सीडीओ व नगर मजिस्ट्रेट को जांच सौंप दी गई है।
आन्जनेय कुमार सिंह,जिलाधिकारी
-मेडिकल के नाम पर शिक्षकों से वसूली की शिकायतें मिली हैं,जिसे गंभीरता से लिया गया है। इसके लिए एक जांच कमेटी बना दी गई है। प्रथम दृष्टया स्टेनों को मेडिकल के काम से हटा दिया गया है साथ ही दो संविदा कर्मियों की सेवा भी समाप्त कर दी गई है। जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी और फिर इस मामले में कार्रवाई होगी।
डा.सुबोध कुमार शर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी
कोर्ट कर्मियों के मेडिकल में भी हुई घपलेबाजी
मेडिकल के नाम पर अवैध वसूली करने का मामला दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ भी उठा चुका है। संघ की ओर से पिछले दिनों संघ के अध्यक्ष संदेश कुमार व सचिव कुलदीप कुमार ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर शिकायत की थी कि कोर्ट में आशुलिपिक,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है, इन पदों पर चयनित कर्मियों के मेडिकल कराने के नाम पर सीएमओ दफ्तरमें तैनात आशुलिपिक ने 1300 रुपये वसूले जा रहे हैं। मगर, कुछ दवाब डालने पर एक हजार रुपये वसूले गए हैं। चयनितकर्मियों ने इस तरह की शिकायत करते हुए सीएमओ की आशुलिपिक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। कहा कि इस मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाए।
आखिर किसकी शह पर हो रही वसूली
चयनित कर्मियों के मेडिकल के नाम पर आखिर किसकी शह पर वसूली हो रही है। यह सवाल बड़ा है क्योंकि पहले ही दिन कई शिक्षकों ने इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अफसरों से की,लेकिन अफसर उस वक्त आरोपों को नकारते रहे। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब मामला तूल पकड़ लिया तो अब जांच कर कार्रवाई की बात कर रहे हैं। सवाल यह भी है कि यह जांच सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगी या फिर इसमें कोई ठोस कार्रवाई भी होगी।