नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच मतभेद जरूर बढ़ता जा रहा है । लेकिन मतभेद किसान संघो के बीच भी हो चुका है। सोमवार को पंजाब के 20 किसान संगठन के नेताओं ने केंद्र को अपना समर्थन देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की।

इस दौरान तोमर ने कहा कि किसान अपनी फसल को रोक नहीं पता। इसलिए उसे फसल के वाजिब दाम नहीं मिलते.म। मंडियों में क्या हालात हैं, इससे सभी वाकिफ हैं। इसी परिस्थिति को बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नए कृषि बिल संसद में पेश किए थे, जो बाद में कानून बन गए। केंद्र सरकार की कोशिश है कि खेती के क्षेत्र में निजी निवेश किसानों तक पहुंचे।

निजी निवेश के दरवाजे कृषि कानूनों से हुए खुल सकें है। इस निवेश से खेती में भी फायदा होगा. वहीं निजी निवेश के चलते गांवों में भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसी के चलते दो करोड़ के लोन पर 3 प्रतिशत ब्याज की सब्सिडी भी मिलती है।लेकिन किसान नेता इसे समझ नहीं पा रहे हैं। वे आंदोलन पर अड़े हैं। उन्होंने आगे कहा कि ये आंदोलन तो चलेगा, हम इससे निपटेंगे।

नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 12 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को तेज करते हुए किसानों ने देशव्यापी भारत बंद का आह्वान किया है। भले ही किसान नेता इस बंद को शांतिपूर्ण करार दे रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी करते हुए सतर्क रखने के लिए कहा है। साथ ही किसी भी अप्रिय घटना के लिए सुरक्षा के इंतजाम करने के लिए निर्देशित किया है।

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