देश के एक स्वघोषित बुद्धिजीवी वर्ग ने योगी सरकार के नए अध्यादेश के खिलाफ एक बार फिर फेक नैरेटिव की लड़ाई छेड़ी है. यह लड़ाई है लव-जेहाद के सामने इंटरफेथ मैरिजेज़ की ढाल खड़ी करने की. खुद को सेक्युलर बताने वाले इस वर्ग की योजना यह है कि देश की जनता को भारतीय जनता पार्टी मुख्यत: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की वह तस्वीर दिखाई जा सके जिसमें भगवाधारी योगी दो विभिन्न समुदायों के प्रेम करने वाले लोगों के बीच गब्बर की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं. और जनता, जो न अध्यादेश पढ़ती है न किसी बिल या एक्ट के सेक्शन्स में जाकर डीटेल्स देखती है, उसे यह समझा दिया जाए कि देखो, यूपी में इंटर-फेथ मैरिजेज़ करना अपराध की श्रेणी में रख दिया गया है, अगर तुम अपने धर्म से बाहर जाकर शादी करोगे तो शोले के ठाकुर की तरह ज़ुल्म का शिकार हो जाओगे इसलिए यह ज़रूरी है कि तुम योगी से नफरत करो और एकजुट होकर इसका विरोध.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जुलाई 2020 से सितंबर 2020 यानि सिर्फ दो महीने में लव-जेहाद, (धोखा देकर, पहचान छुपाकर या फिर शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन करवाने) के 20 मामले सामने आए. अकेले यूपी में 14 से अधिक मामले दर्ज हुए जिसके बाद योगी सरकार हरकत मे आई. फिर भी बुद्धिजीवियों का आईडिया यह है कि कुछ फेक नैरेटिव्स को तमाम पत्र-पत्रिकाओं और सोशल मीडिया के ज़रिए ऐसे पाला पोसा जाए जिससे युवा पीढ़ी को यह लगने लगे कि यह अध्यादेश ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ की आत्मा पर सीधा हमला है. वह आइडिया ऑफ इंडिया जिसके न शरीर का पता है न आत्मा का और जो सिर्फ इस वर्ग के ठेकेदारों के ज़हन में उगकर, शाहीन बाग की सड़कों से होता हुआ तमाम स्वराओं और कश्यपों की अधकचरी समझ के आगे दम तोड़ देता है. वह समझ जो उस NRC में देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ भयंकर प्रावधान देख लेती है जिसका ड्राफ्ट शायद ग्रह मंत्रालय के पास भी नहीं. आइडिया यह भी है कि जनता खास तौर से युवा पीढ़ी को बरगला कर यह न समझने दिया जाए कि यह अध्यादेश जिसे यह बुद्धिजीवी इंटरफेथ मैरिजेज़ के विरोध में बता रहे हैं दरअसल इंटरफेथ मैरिजेज़ नहीं बल्कि पहचान छुपाकर की गई शादियों के खिलाफ है और उस शादी के ज़रिए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ है.

क्या नैरेटिव गढ़ रहा है बुद्धिजीवी वर्ग और क्या है अध्यादेश का सच?

1- नैरेटिव- योगी सरकार का लव-जेहाद पर अध्यादेश लेकर आई है
सच- लव-जेहाद का अध्यादेश में कहीं ज़िक्र नहीं. अध्यादेश का नाम ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ (Prohibition of Unlawful Conversion Bill 2020’). केवल विवाह ही नही सामूहिक धर्म-परिवर्तन पर भी लीगल रेमेडी देता है यह अध्यादेश.

2- नैरेटिव- यह अध्यादेश अलग धर्म में विवाह के खिलाफ़ है
सच- नहीं, सच यह है कि इसके तहत धोखा या लालच देकर शादी करना अपराध. दूसरे धर्म में शादी करने के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी से इजाजत लेना अनिवार्य होगा. इसके लिए शादी से पहले 2 महीने का नोटिस देना होगा.

3- नैरेटिव- अलग धर्म में शादी करोगे तो जेल में डाल दिए जाओगे
सच- अगर छल-कपट कर पहचान छुपाकर, शादी करोगे तो मामला बनेगा. किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी.

4- नैरेटिव- अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन को यह अध्यादेश अपराध मानता है
सच- जबरन या प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना सज़ा के प्रावधान के तहत है

एक लाइन मे कहूं तो इन स्वघोषित बुद्धिजीवीयों की योजना यह है कि ‘जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन..’ गुनगुनाते हुए बड़ी चतुराई से युवाओं को, ‘कोई शर्त होती नहीं प्यार में…’ कभी न सुनने दिया जाए और युवा पीढ़ी तक उन मासूम लड़कियों की आवाज़ें कभी न पहुंचने दी जाए जो निकली तो घर से सूटकेस लेकर थीं, लेकिन लौटीं तो उसमें बंद होकर.

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