उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लव जिहाद कानून बनाने की बात कही जा रही है। लेकिन इस दिशा में एमपी ने सबसे पहले कदम उठाया है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसकी घोषणा कर दी है। क़ानून में 5 साल के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान किए जाने की बात कही जा रही है, पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार भी कर सकती है। साथ ही इस कानून के तहत लव जिहाद में मदद करने वालों पर भी मुख्य आरोपी की तरह कार्रवाई होगी। लव जिहाद कानून पर छिड़ी बहस के बीच बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस कानून को कमजोर बताया है, उनका कहना है कि ये कानून संसद से बनना चाहिए।
अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि भारतीय दंड संहिता 493 में पहले से ही इस तरह के मामलों के लिए क़ानून बना हुआ है जिसमें 10 साल की सजा का प्रावधान है। धारा 493 कहती है कि हर पुरुष जो किसी स्त्री को, जो विधिपूर्वक उससे विवाहित न हो, धोखे से यह विश्वास कारित करेगा कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है और इस विश्वास में उस स्त्री के साथ सहवास या मैथुन कारित करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जाएगा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।
उपाध्याय ने कहा कि आईपीसी की धारा 493 में एक उपधारा को जोड़ा जा सकता है जिससे लव जिहाद जैसे अपराध को रोका जा सकता है। हालांकि राज्यों की अपेक्षा अगर केंद्र सरकार आगे बढ़कर संसद के जरिये मजबूत क़ानून बनाती है तो ये जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक लागू होगा और तब लव जिहाद जैसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।
बीजेपी नेता का मानना है कि सबसे ज्यादा लव जिहाद के मामले केरल, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हो रहे हैं लेकिन किसी खास धर्म के साथ अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता के चलते ये राज्य लव जिहाद पर क़ानून नहीं बना रहे हैं। उपाध्याय ने कहा कि भारत ही एक ऐसा मुल्क है जहां बहुसंख्यक लव जिहाद जैसे क़ानून की मांग कर रहे हैं जबकि दुनिया के तमाम देशों में ये मांग अल्पसंख्यक करते हैं। राज्यों से उम्मीद है कि वो कम से कम ऐसा क़ानून बनायेंगे जिसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान हो।