विशेष संवाददाता
कोलकाता। मुर्शीदाबाद जिले के तृणमूल विधायक नियामत शेख ने रविवार को एक जनसभा में कहा कि- क्या हमें प्रशांत किशोर से राजनीति समझने की जरूरत है? कौन हैं पीके? अगर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को नुकसान पहुंचता है तो यह पीके की गलती होगी।
कूच बिहार के विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी प्रशांत किशोर को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी और पार्टी के सभी संगठनात्मक पदों से छह हफ्ते पहले इस्तीफा दे दिया था। गोस्वामी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर कई सवाल पोस्ट किए, जिसमें से एक था कि- क्या तृणमूल वाकई अभी भी ममता बनर्जी की पार्टी है?
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी को किसी कॉन्ट्रैक्टर को दे दिया गया है। आईपैक जैसी एक कॉरपोरेट कंपनी पार्टी के संगठनात्मक मामलों पर आदेश देगी और मेरे जैसा वरिष्ठ राजनेता उसे माने, ये काफी दर्दभरा है।
मंगलवार को भी कूच बिहार के सितई के एक और विधायक ने ऐसा ही सवाल उठाया।
पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा होने हैं । जिसमें फिलहाल छह महीने से भी कम का समय बाकी है। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने का काम चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे हैं। पार्टी के कुछ विधायक उनके बारे में बातें कर रहे हैं, पिछले हफ्ते किशोर के असंतुष्ट तृणमूल नेता सुवेंदु अधिकारी से मिलने में असफल रहने के बाद ये आवाजें और जोर-शोर से उठने लगीं। अंतिम रिपोर्टों से पता चलता है कि तृणमूल आखिरकार सुवेंदु अधिकारी के करीब पहुंच रही है।माना जाता है कि पार्टी के एक अनाम सांसद ने सोमवार को तृणमूल मंत्री के साथ एक शीर्ष गुप्त बैठक की थी। रिपोर्टों से ऐसा पता चलता है कि फिर से एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित की जा सकती है।
तृणमूल को यह पता है कि बीजेपी के चुनाव रणनीतिकारों का इस पर ध्यान है लेकिन उनके नेता बेपरवाह दिखाई दे रहे हैं। तृणमूल के सौगत रॉय का कहना है कि “अमित शाह का लक्ष्य दिन में देखा जाने वाला सपना है जो कि कभी भी पूरा नहीं होगा। उनकी पार्टी जैसा कि वह कहते हैं बिल्कुल तोते जैसी है। उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।रॉय बढ़ती संख्या में विधायकों और पार्टी के अन्य नेताओं से प्रशांत किशोर के खिलाफ होने वाली रुकावटों से भी चिंतित नहीं हैं।