नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि सरकार की आलोचना करने के लिए सामान्य नागरिक को परेशान नहीं किया जा सकता। दरअसल यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली निवासी रोशनी बिस्वास की फेसबुक पोस्ट पर कोलकाता पुलिस द्वारा जारी किए समन के मामले में की है। रोशनी ने कोलकाता के भीड़-भाड़ वाले राजा बाजार इलाके की तस्वीर शेयर कर ममता बनर्जी सरकार से लॉकडाउन की गंभीरता पर सवाल उठाए थे। रोशनी मूल रूप से पश्चिम बंगाल की रहने वाली हैं।
रोशनी की पोस्ट को सामाजिक तौर पर नुकसान पहुंचाने वाला मानते हुए कोलकाता पुलिस ने एफआईर दर्ज कर ली थी। अब इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने बेहद सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने पुलिस द्वारा सामान्य नागरिक पर इस तरह समन जारी करने को चिंताजनक माना है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह खतरनाक ट्रेंड की वजह से लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका को बीच में आना पड़ता है।
बेंच ने कहा-अगर कोई व्यक्ति सरकार के खिलाफ टिप्पणी करता है और आप (राज्य) कहते हैं कि वो कोलकाता, चंडीगढ़ या मणिपुर में उपस्थित हो! और फिर आप कहेंगे कि हम तुम्हें सबक सिखाएंगे। ये एक खतरनाक स्थिति है। इस देश को आजाद बने रहने दीजिए।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के उस निर्णय पर भी रोक लगा दी जिसमें रोशनी को पुलिस के सामने उपस्थित होकर जांच में सहयोग करने का आदेश दिया गया था। रोशनी के वकील महेश जेठमलानी ने कोर्ट से कहा- मेरे मुवक्किल से संज्ञेय अपराध कहां हुआ है? साथ ही मेरे मुवक्किल ने विवादित पोस्ट्स से किसी भी तरह के जुड़ाव से इंकार किया है। वो रोशनी को कोलकाता इसलिए बुलाना चाहते हैं क्योंकि धमकाया जा सके।
जेठमलानी ने कहा कि फेसबुक पोस्ट में रोशनी ने राजाबाजार में लॉकडाउन नियमों का पालन न होने की बात कही थी. इसे लेकर हजारों लोगों ने चिंता जाहिर की। लेकिन पुलिस की एफआईआर में इसे दो समुदायों के बीच भावनाएं भड़काने वाला पाया गया. गौरतलब है कि राजाबाजार इलाके में मुस्लिम समुदाय बहुतायत से रहता है।
इस पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील आर. बसंत ने साफ किया कि आखिर सरकार रोशनी के खिलाफ क्यों होगी। उन्होंने कहा कि रोशनी हाईकोर्ट के सामने स्वीकार कर चुकी हैं कि वो लॉकडाउन के बाद पुलिस के सामने उपस्थित होंगी। हम उन्हें बस कुछ सवाल पूछने के लिए बुलाना चाहते हैं, परेशान करने के लिए नहीं।।
इस पर कोर्ट ने कहा-सरकार की आलोचना करने को लेकर लोगों को दूसरे राज्यों में बुलाए जाने को लेकर हमारी चिंताएं हैं। कोर्ट ने मामले में चार सप्ताह के भीतर पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब भी मांगा है।