श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के तिरंगे वाले बयान पर पूरे देश में हंगामा मच गया है। महबूबा के इस बयान पर बीजेपी आक्रामक है. शिवसेना ने महबूबा को पाकिस्तान भेजने की मांग कर दी है।

महबूबा के बयान के विरोध में बीजेपी सोमवार को श्रीनगर से कुपवाड़ा तक तिरंगा यात्रा निकाली। कुपवाड़ा से बीजेपी कार्यकर्ता श्रीनगर के मशहूर लाल चौक पहुंचे और तिरंगा फहराने की कोशिश की।
हालांकि, इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ लिया और 4 बीजेपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।

पिछले दिनों महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जब तक कश्मीर में दोबारा अनुच्छेद 370 बहाल नहीं हो जाता और उन्हें जम्मू-कश्मीर का झंडा वापस नहीं मिल जाता वो तिरंगा नहीं थामेंगी।

इससे पहले रविवार को बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय ध्वज पर विवादित टिप्पणी को लेकर महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जम्मू में पीडीपी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन का दूसरा दिन था। जम्मू में पीडीपी के दफ्तर पर कुछ युवाओं ने तिरंगा फहराया था। इस दौरान महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी हुई थी।।

दरअसल, रिहा होने के बाद महबूबा मुफ्ती ने ऐलान किया था कि मैं जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरा कोई झंडा नहीं उठाऊंगी। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जिस वक्त हमारा ये झंडा वापस आएगा, हम उस (तिरंगा) झंडे को भी उठा लेंगे. मगर जब तक हमारा अपना झंडा, जिसे डाकुओं ने डाके में ले लिया है, तब तक हम किसी और झंडे को हाथ में नहीं उठाएंगे। पूर्व सीएम ने कहा कि वो झंडा हमारे आईन का हिस्सा है, हमारा झंडा तो ये है। उस झंडे से हमारा रिश्ता इस झंडे ने बनाया है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई पार्टियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए फिर से अनुच्छेद 370 को दोबारा से लागू करने की मांग की है। इसके लिए सभी पार्टियों ने एक गुपकार समझौता किया है।

महबूबा को सलाखों के पीछे डालने की उपराज्यपाल से मांग

बीजेपी ने महबूबा के इस बयान को देशद्रोही बताया है. बीजेपी ने कहा, ‘धरती की कोई ताकत वह झंडा फिर से नहीं फहरा सकती और अनुच्छेद 370 को वापस नहीं ला सकती।’ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा, ‘मैं उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से अनुरोध करता हूं कि वह महबूबा मुफ्ती के देशद्रोही बयान का संज्ञान लें और उन्हें सलाखों के पीछे डालें।’

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