अबकी बार बिहार में किसकी सरकार? इस सवाल का जवाब जल्द ही मिलने वाला है. बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। लेकिन, चुनाव से पहले सामने आए लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल में नीतीश कुमार की वापसी के संकेत मिल रहे हैं। पोल के मुताबिक, एक बार फिर नीतीश सरकार को स्पष्ट बहुमत मिल सकता है. लेकिन इससे इतर सर्वे में कई लोग ऐसे भी सामने आए हैं जिन्होंने अबतक तय ही नहीं किया है कि वो किस ओर मतदान करने वाले हैं. जो चुनावी नतीजों वाले दिन चौंकाने वाले आंकड़े हो सकते हैं।।

लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल में बिहार की जनता से कई मुद्दों पर सवाल पूछा गया. लेकिन, जब सरकार चुनने की बारी आई तो अधिकतर ने नीतीश सरकार के लिए हामी भरी। हालांकि, एक बड़ी संख्या ऐसी है जो अभी भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सोच रही है। सर्वे के दौरान मालूम हुआ कि करीब दस फीसदी लोग ऐसे हैं, जो अभी तक निर्णय नहीं ले पाए हैं. यानी जनता अभी भी सोच और परख रही है कि अगले पांच साल के लिए किस को मौका दिया जाए।।

पोल में जो एक और आंकड़ा आया है वो ऐसे लोगों का है जो सीधे मतदान के दिन ही ये तय करेंगे कि आखिर किसके पाले में वोट करना है।।ऐसे लोगों की संख्या करीब 14 फीसदी है। यानी ये लोग पोलिंग बूथ पर ही जाकर तय कर पाएंगे कि किस ओर मतदान करना है। अब अगर दोनों आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो कुल 24 फीसदी होता है यानी करीब एक चौथाई वोटर अभी भी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचा है।

अगर ओपिनियन पोल का ये अनुमान सही साबित होता है तो चुनावी नतीजों में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है। बीजेपी और जदयू जिस उम्मीद से दोबारा सरकार में आने का दावा कर रहे हैं और दूसरी ओर तेजस्वी यादव जिस तरह चैलेंजर बनकर उभरे हैं, उनके लिए भी ये 24 फीसदी के करीब का मतदान चिंता बढ़ा सकता है. क्योंकि अंतिम वक्त में ये वोट किसी भी ओर रुख कर सकता है।।

लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे में भले ही एनडीए की सरकार बनती दिख रही हो, लेकिन राजद नेता तेजस्वी यादव की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल हुआ है
करीब 27 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनकी मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद तेजस्वी यादव हैं, जबकि नीतीश को सीएम देखने वाले 31 फीसदी हैं. यानी दोनों नेताओं में मात्र चार फीसदी का अंतर है। तेजस्वी की रैलियों में जिस तरह जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है, ऐसे में उनकी कोशिश होगी कि इस भीड़ को वोट में बदलकर अंतर को कम किया जाए।

ओपिनियन पोल के मुताबिक, बिहार में एनडीए को 38 फीसदी और महागठबंधन को 32 फीसदी वोट मिल सकते हैं। जबकि गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट को सात फीसदी और लोजपा को 6 फीसदी वोट मिल सकता है। अगर इन्हें सीटों में बदलें तो एनडीए को 133 से 143 के बीच सीटें मिल सकती हैं और महागठबंधन 88 से 98 के बीच में रुक सकता है।।चिराग पासवान की लोजपा 6 सीटों तक जा सकती है. 

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