विशेष संवाददाता
हाथरस। हाथरस मामले में जो सच सामने आ रहा है, वो यह कि रेप का आरोप संदेह के दायरे में है। यदि बूलगढी गाव वालों की बात पर विश्वास किया तो बूलगढ कुछ ने कहा कि आरोपी और पीड़िता के बीच प्रेम संबंध था।हालांकि प्रेम संबंध होने का यह मतलब नहीं है कि आरोपी पीड़िता की हत्या नहीं कर सकता। यह जांच का विषय है और इसका जवाब जांच एजेंसियां ही तलाश करेंगी।
सच तो यह कि इस मामले में कुछ न कुछ तो गड़बड़ है कॉल डिटेल्स तो ये साबित कर रही है कि पीड़िता का भाई कही ना कही कुछ छिपा रहा है। ये सच ही पीड़िता की मौत हुई है और उसे न्याय मिलना चाहिए लेकिन क्या न्याय की जल्दबाजी में किसी निर्दोष को तो नहीं फंसाया जा रहा है या किसी झूठ पर तो परदा नहीं डाला जा रहा है ? इस केस में आरोपी बनाए गए लवकुश नाम के लड़के की मां का कहना है कि जब लड़की घायल पड़ी थी तो उन्होंने अपने बेटे को पीड़िता को पानी पिलाने के लिए भेजा था लेकिन बाद में उसे भी गैंगरेप का आरोपी बना दिया गया।
तीसरे आरोपी रामू की मां ने बताया कि उनका बेटा 14 सितंबर को सुबह साढ़े सात बजे ही घर से निकल चुका था। वो पास के एक डेयरी प्लांट में नौकरी करता है। आरोपी रामू की मां ने कहा कि मेरे बेटे पर झूठा इल्जाम लगाया है। वो यहां था ही नहीं। वो सुबह 7 बजे डेयरी के लिए चला गया था। आरोपी रामू की मां के इस दावे की सच्चाई जानने के लिए एक न्यूज चैनल का संवाददाता गांव से लगभग 3 किलोमीटर दूर डेयरी प्लांट पर पहुंचा और डेयरी प्लांट के मालिक से बात की। उन्होंने इस बात की पुष्टि की, कि रामू सुबह 8 बजे से 12 बजे तक डेयरी प्लांट में ही था।
डेयरी मालिक ने बताया, ‘रामू बहुत सीधा लड़का है। 14 तारीख को मेरे डेयरी पर 8 बजे से 11.30-12 बजे तक था। हाजिरी रजिस्टर में उसकी उपस्थिति दर्ज थी। क्राइम ब्रांच वाले रजिस्टर ले गए हैं। डेयरी पर काम करने वाले सभी स्टाफ ने देखा था कि रामू डेयरी आया था।’
बात चौथे आरोपी रवि की। गांव के लोगों ने हमें बताया कि रवि भी उस दिन गांव में नहीं था। बूलगढ़ी गांव में रहने वाले ओंकार सिंह ने घटना का प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा किया।ओंकार सिंह ने बताया, ’14 तारीख को मैं गांव से खेत जा रहा था। संदीप अपने पिता के साथ गाय को पानी पिला रहा था। खेत से कराहने की आवाज आ रही थी। लड़की का भाई और उसकी मां खड़ी थी लड़की खेत में पड़ी थी। लड़की का भाई कह रहा था कि सिर्फ संदीप का नाम लेना।”
14 सितंबर की कहानी
बूलगढ़ी गांव में रहने वाले ओंकार सिंह ने घटना का प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करते हुए 14 सितंबर को गांव में सामने आए पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी। जिससे कई लोग इत्तेफाक रखते हैं। 14 सितंबर सुबह साढ़े नौ बजे पीड़िता को लेकर उसका परिवार थाने पहुंचा। पीड़िता के भाई ने पड़ोसी के बेटे संदीप के खिलाफ FIR लिखवाई।आरोप लगाया गया कि संदीप ने बाजरे के खेत में गला दबाकर उनकी बहन को मारने की कोशिश की।
14 सितंबर को किसी ने रेप का आरोप नहीं लगाया, न तो पीड़िता, न उसकी मां और न ही भाई ने रेप की बात कही। इसके कुछ वीडियो सामने आए हैं। जिनमें पुरानी रंजिश की बात कही गई है। इसमें सिर्फ एक आरोपी संदीप का नाम लिया गया है। वहीं 14 सितंबर का एक और वीडियो सामने आया है जो स्थानीय अस्पताल का है इसमें मौजूद ऑडियो और वीडियो के मुताबिक साफ होता है कि पीड़िता का परिवार उसे लेकर पहले अस्पताल नहीं आया, बल्कि थाने लेकर गया।।
8 दिन बाद पीड़िता ने नया बयान दर्ज कराया
14 सितंबर को पीड़िता की मां ने थाने में जो बयान दिया उसमें भी बलात्कार का कोई जिक्र नहीं हुआ। मां के मुताबिक पड़ोसी के लड़के ने बेटी का गला दबाया है। FIR के आधार पर 19 सितंबर को आरोपी संदीप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन घटना के 8 दिन बाद पीड़िता ने नया बयान दर्ज कराया।
नए बयान में पीड़िता ने गैंगरेप का आरोप लगाया, यानि तब संदीप के अलावा 3 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया। जिनके नाम लवकुश, रवि और रामू हैं। ये तीनों भी उसी गांव के रहने वाले हैं। 26 सितंबर तक पुलिस ने इन तीनों को भी गिरफ्तार कर लिया। इस बीच, पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी। जिसके बाद 28 सितंबर को उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां अगले दिन 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई।
अहम सवाल :
- सबसे बड़ा सवाल ये कि 14 सितंबर को परिवार ने रेप की बात क्यों नहीं कही?
- पहले ही दिन बाकी 3 आरोपियों के नाम क्यों नहीं लिए?
- आठ दिन बाद परिवार ने गैंगरेप की बात क्यों कही?
- जीभ काटने की बात क्यों फैलाई, जबकि पीड़िता बात करती दिख रही थी?
- परिवार सीबीआई जांच और नार्को टेस्ट से सहमत क्यों नहीं है?
पीड़ित परिजनों से दोबारा बातचीत
ऊपर सामने आए अहम सवालों के जवाब के लिए न्यूज चैनल ने पीड़िता के परिवारवालों के साथ फिर से बात की। यह सच है कि पीड़िता की मौत हो गई जिसके पीठ और गर्दन पर चोट के निशान थे। यानी किसी ने तो उसके साथ मारपीट की होगी तो आखिर वो आरोपी कौन है? इसका पता लगाना जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है। ज़ी न्यूज़ मामले में किसी का पक्ष नहीं ले रहा है। यहां पर पूरी पड़ताल तथ्यों के साथ कैमरे पर ऑन रिकार्ड है।
सबसे गंभीर आरोप की सच्चाई
हाथरस के इस मामले में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ? अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल की फॉरेंसिक रिपोर्ट (Forensic Report) में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। रिपोर्ट में पीड़िता के साथ मारपीट की बात कही गई है। ( इनपुट Zee टीवी )