डाक्टर रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, शहर दक्षिणी
वाराणसी ( यू पी )
कुछ सत्य बहुत कड़वे होते हैं, लेकिन जिसने भी इस कड़वाहट की सही अनुभूति कर ली, वह भविष्य में आने वाले बहुत बड़े खतरे से सावधान व सतर्क हो जाता है।1940 के LAHORE SESSION में मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि, हिन्दू और मुस्लिम दो कौमें हैं। जिनके धर्म, कर्मकांड, खान-पान, बोल-चाल की भाषा और रीति-रिवाज एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। अगर हिंदुस्तान आज़ाद होता है, तो यह बहुसंख्यक हिन्दू, या तो DICTATOR हो जाएंगे और अगर DEMOCRACY आती है, तो बहुसंख्यक होने के कारण ये सत्ता पर हावी हो जाएंगे।
यानी कि,भारत एक ETHNIC STATE है।
मुसलमान हिन्दुओं का गुलाम नहीं होना चाहता।इसीलिए, हमको अपना अलग ISLAMIC STATE चाहिए। लिहाज़ा 1946 में DIRECT ACTION के THROUGH गैर मुस्लिम कौमों पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भीषण अत्याचार हुए और उन्हें अपना घर-बार छोड़कर हिन्दू बहुल इलाकों में भागना पड़ा। देश पूर्वी-पश्चिमी पाकिस्तान और धर्म निरपेक्ष हिंदुस्तान में बंट गया।
यहाँ बहुदलीय-संसदीय प्रजातंत्र है। इस प्रजातंत्र में सत्ता की गणित आम चुनाव में बहुमत के आधार पर निर्धारित होती है। सनातन धर्मावलंबी जो अपने को हिन्दू कहते हैं, उन्हें यह जानना चाहिए कि, भारत की 130 करोड़ आबादी में वे केवल 90 करोड़ हैं। और इस 90 करोड़ में भी 20 करोड़ दलित और आदिवासी है।
अगर जन्मना वर्ण समीकरण के अनुसार हमने इन दलितों को सनातन धर्म की मुख्य धारा में शामिल नहीं किया, तो 1946 की पुनरावृत्ति होने वाली है। जैसा हम उत्तर प्रदेश के कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, आज़मगढ़, हरियाणा के मेवात, राजस्थान के जैसलमेर, केरल और बंगाल में देख चुके हैं।
हमारी इन्हीं गलतियों से नेपाल हमसे अलग हो रहा है।लिहाजा,1946 की फिर से पुनरावृत्ति न हो और फिर से देश का बंटवारा न हो, इसके लिए हमें इस जन्मना वर्णव्यवस्था को समाप्त करना होगा। यानी कि न कोई ब्राह्मण होगा, न क्षत्रिय होगा, न वैश्य, न शूद्र, बल्कि सभी यह 90 करोड़ सनातनधर्मी हिन्दू हैं, जो भावनात्मक और सामाजिक रूप से बराबर हैं। एक का दुख दूसरे का दुख है और दूसरे सनातनी के सुख में पहला सुखी है। यही CONCEPT ISLAM धर्म के उम्मा में भी है। जो सनातनी है वो भारत की एकता, अखंडता और सार्वभौमिक सत्ता में रचनात्मक सहयोग देगा। और जो ऐसा नहीं करता, वही शूद्र है, वही त्यागने योग्य है। उसका हुक्का पानी बन्द कर दीजिए।
आइये हम प्रण लें कि, हम भारतवासी सनातन धर्मावलंबी हमारी जात और पात एक है। हम हिन्दू हैं और हमारी राष्ट्रीयता भारतीय और हमारा राष्ट्रधर्म सनातन है।
आवाज दो,
हम एक है।
जय भारत,जय भारती।
जात तोड़ो-देश जोड़ो।
वंदे मातरम।
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