चीन के 59 मोबाइल एप्स पर पाबंदी लगाने का मकसद सिर्फ चीन की हिमाकत का जवाब देना नहीं था। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को काफी शिकायतें मिली थीं जिनमें कहा गया था कि इन ऐप्स का दुरुपयोग हो रहा है। ये ऐप्स ‘यूजर्स के डेटा को चुराकर, उन्हें भारत के बाहर स्थित सर्वर को अवैध तरीके से भेजते हैं। चीन के ये तमाम ऐप्स भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा बन चुके थे। ये कदम ‘करोड़ों भारतीय मोबाइल और इंटरनेट यूजर्स के हितों की रक्षा करेगा।
चाइनीज ऐप पर प्रतिबंध के फैसले से भारत ने 5 बड़े संदेश दिए हैं:
पहला संदेश ये है कि दुनियाभर के देश चाइनीज ऐप के खिलाफ सावधान हो जाएं। यानी चाइनीज ऐप को आदत न बनाएं। चाइनीज ऐप का नशा अफीम की तरह खतरनाक है क्योंकि चाइनीज ऐप पर अगर आप निर्भर हो गए, तो फिर आपको चीन से कोई बचा नहीं सकता। चाइनीज ऐप पर ये आरोप लगते हैं कि इन ऐप्स के जरिये जुटाई गई जानकारी का इस्तेमाल चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी करती है।
दूसरा यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि अब ये समय आ गया है कि दुनियाभर की सरकारें अपने यहां चाइनीज ऐप की जांच करवाएं कि कहीं ऐसे ऐप्स के जरिये उस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ तो नहीं हो रहा है।
तीसरा संदेश ये है कि अगर भारत चाइनीज ऐप्स के बिना रह सकता है, तो फिर अमेरिका या यूरोप के देश ऐसा क्यों नहीं कर सकते।
चौथा संदेश ये है कि इस फैसले से देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मदद मिलेगी क्योंकि अगर देश में टिकटॉक जैसे ऐप नहीं होंगे तो कोई भारतीय इस तरह के ऐप के बारे में सोचेगा और आगे हो सकता है कि टिकटॉक जैसे ऐप खुद भारत में हों।
पांचवां संदेश ये है कि भारत ने चीन को सख़्त संदेश दिया है कि अगर वो देश के खिलाफ कोई कदम उठाएगा तो उसे सैन्य मोर्चे के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी करारा जवाब मिलेगा।
भारत ने चीन सहित पूरी दुनिया को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अगर कोई देश भारत की तरफ आंख उठाकर भी देखेगा तो उसे दुनिया के इस सबसे बड़े बाजार का हिस्सा नहीं बनने दिया जाएगा।