भारत और चीन के बीच विवाद में थोड़ी भी नरमी नहीं आई है। भारत ने कुछ प्रमुख सहयोगी देशों को बताया है कि चीन अगर रणनीतिक रूप से अहम इलाकों से नहीं हटता है, तो टकराव फिर से हो सकता है। सूत्रों ने कहा, “अमेरिका सहित कुछ प्रमुख सहयोगी देशों से चीन मसले पर बातचीत भारत की अहम मुद्दों पर मित्र देशों को अपडेट करने की रणनीति का हिस्सा है। इसका मध्यस्थता से कोई लेना देना नहीं है।”

सूत्रों का ये भी कहना है कि भारत के पास सीमित विकल्प हैं। हमारी तरफ से कहीं भी घुसपैठ नहीं हुई है, लेकिन चीनी सैनिक ऐसे इलाकों में जमा है जो हमारे लिए बहुत अहम है और वो चीन की जमीन नहीं है। खासतौर पर सूत्र पेंगोंग इलाके में तनाव की ओर इशारा कर रहे हैं। भारत की स्पष्ट मांग है कि चीन पीछे हटे।

सूत्रों ने कहा कि अगर चीनी सैनिक वहां से नहीं हटते, तो मजबूरी में भारत को कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। वे कदम क्या होंगे इसपर सूत्र अभी खुलकर नहीं बोल रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि चीन के साथ बैकडोर डिप्लोमेसी में भारत ने न सिर्फ अपना पक्ष मजबूती से रखा है, बल्कि चीन को ये मजबूती से बताया है कि किस तरह से उसने परस्पर सहमति को तोड़ा है। इसके संभावित परिणाम दूरगामी हो सकते हैं ये भी भारतीय पक्ष ने स्पष्ट किया है।

सूत्रों ने कहा कि रणनीतिक रूप से अहम इलाकों में चीनी सैनिकों की मौजूदगी को लेकर दुनिया के कई देश भारत की स्थिति समझ रहे हैं, लेकिन चीन के साथ इस मुद्दे पर किसी देश की सीधी बात हुई है या नहीं इसे रणनीतिक मुद्दा बताकर सूत्र खुलासा करने से इंकार कर रहे हैं। सूत्र ये जरूर मान रहे हैं कि अमेरिका और रूस दोनों इस इलाके में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

फिलहाल चीन के साथ तनाव में किसी स्तर पर कमी नहीं आई है और साउथ ब्लॉक की चर्चाओं में तनाव की गर्माहट साफ नजर आ रही है। भारत को मिल रही खुफिया रिपोर्ट भी साफ इशारा कर रही हैं कि चीन की नीयत में खोट है। उसकी तरफ से नए फ्रंट खोलने की भी कोशिश हो सकती है।

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