अमेरिका के एक वैज्ञानिक को भारत से आई दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गुणवत्ता की शिकायत करने के कारण हटा दिया गया। उनका कहना है कि ट्रम्प (trump )प्रशासन ने कोरोना से जुड़ी चेतावनियों को नजरअंदाज किया। वैज्ञानिक डॉ. रिक ब्राइट ( ric bright) ने मंगलवार को अमेरिका के विशेष काउंसिल ऑफिस में इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई। इसमें कहा गया है कि ट्रम्प प्रशासन के स्वास्थ्य अधिकारियों को भारत से मिल रही कम गुणवत्ता वाली मलेरिया की दवा खासकर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर आगाह किया गया था। पीपीई किट ( ppe kit) की गुणवत्ता अच्छी नहीं होने के बारे में भी बताया गया। हालांकि अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। डॉ. ब्राइट फिलहाल सेवा से हटा दिए गए हैं। इससे पहले वे बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च डेवलपमेंट अथॉरिटी के प्रमुख थे। यह अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज (hhs) विभाग की देखरेख में काम करने वाली शोध एजेंसी है।

ब्राइट ने अपनी शिकायत में कहा कि फेडरल ड्रग एसोसिएशन (fda) ने भारत की दवा बनाने वाली कंपनियों का निरीक्षण नहीं किया है। ऐसे में वहां से आ रही दवाओं को लेकर चिंता है। ऐसी कंपनियों की दवा संक्रमित हो सकती है। इनमें पर्याप्त डोज का अभाव हो सकता है। अगर गुणवत्ताहीन दवा किसी को दी जाती है, तो उसे नुकसान हो सकता है। इन सभी खतरों को जानते हुए भी ट्रम्प प्रशासन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने अमेरिका के बाजार में बड़े पैमान पर यह दवाएं उतार दीं। भारत ने कोरोना संक्रमण के बाद अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाएं उपलब्ध करवाई है। भारत ने देश में इस दवा की उपलब्धता बनाए रखने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगा रखी थी। हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रम्प ने भारत से दवा उपलब्ध करवाने की मांग की थी। इसके बाद बाद भारत ने निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाया।

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