कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच Supreme Court उच्चतम न्यायालय video conferencing वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जरूरी मामलों की सुनवाई कर रहा है। इसी क्रम में apex court शीर्ष अदालत ने मध्यप्रदेश के chief minister Shivraj Singh Chauhan मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से दायर याचिका पर फैसला सुनाया है। अदालत का कहना है कि मार्च में Governor राज्यपाल द्वारा बहुमत परीक्षण का आदेश देना सही था।
Supreme Court सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस के Abhishek Manu Singhvi अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से दिये गये उस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यपाल इस तरह का आदेश नहीं दे सकते हैं। यानी अदालत ने congress कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्यपाल ने तब खुद कोई फैसला न लेते हुए बहुमत परीक्षण कराने को कहा था।
Court के अनुसार एक चलती हुई Assembly विधानसभा में दो तरह के ही विकल्प majority test बहुमत परीक्षण और no confidence motion अविश्वास प्रस्ताव ही बचते हैं। अदालत ने इस दौरान राज्यपाल के अधिकारों को लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया है। राज्य के राज्यपाल Lalji Tandon लालजी टंडन ने सियासी उठापटक के बीच विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था।
हालांकि जब सदन की कार्रवाई शुरू हुई तो speaker विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस के कारण सदन को कुछ दिनों के लिए टाल दिया था। जिसके बाद यह मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया था। मार्च में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे Jyotiraditya Sindhia ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद उनके समर्थन में 20 से ज्यादा विधायकों के भी इस्तीफा दे देने के कारण था राज्य की तत्कालीन Kamal Nath government कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। तब कांग्रेस ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए थे। फिर तुरंत शीर्ष अदालत में विधानसभा में बहुमत परीक्षण को लेकर याचिका दायर की गई थी। हालांकि कमलनाथ ने बहुमत परीक्षण से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।