सी के मिश्रा
वित्त विश्लेषक

बेरोजगारी और महंगाई की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था और साथ में विपक्ष और जनता के दबाव को देखते हुए भारतीय बजट सभी को संतुष्ट करने वाला होना चाहिए । ताकि बेरोजगारी कम हो ,संस्थाओं को एक नया आयाम मिले। जैसे कि देखा गया है कि पिछले कुछ सालों में भारतीय संस्थाओं में रियल स्टेट और ऑटो सेक्टर में भारी गिरावट आई है। जबकि माना जाता है कि ये तीन सेक्टर ऐसे हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। रियल सेक्टर के दबाव से बहुत लोगों की नौकरी गई ऑटो सेक्टर का भी वही हाल था, और अभी भी विकास होने की संभावना कोई नहीं दिखाई पड़ रही है। सरकार को ऐसी स्कीम लानी चाहिए जिससे रियल और ऑटो सेक्टर दबाव से बाहर आए।

सभी का मानना है कि भारतीय बाजार शेयर मार्केट तो बढ़ रहा है फिर भी अर्थव्यवस्था नीचे क्यों ? जीडीपी 4.5 क्यों आंकी जा रही है । यह तो एक बहुत बड़ा मैनेजमेंट होता है कि मिड कैप के सारे शेयर आज की तारीख में 50% से भी नीचे आ चुके हैं। लेकिन कुछ बड़ी कंपनियों के शेयर अभी भी आसमान छू रहे हैं और भारतीय बाजार कुछ बड़ी कंपनियों के साथ लिंक किया जाता है । वही इस मार्केट को बढ़ा रहे हैं। जनता और सरकार समझ रही है कि बेरोजगारी एक बहुत बड़ा अभिशाप है । सरकार व्यवस्था तो कर रहो हैं लेकिन हो नहीं पा रहा ।सभी राज्यों और केंद्र को मिल बैठकर सोचना चाहिए कि इंडस्ट्री कहां और कब कैसे लगायी जाए । वैसे सरकार ने तो अच्छे अच्छे संस्थानों का निर्माण किया है जो भारतीय संस्थाओं को जल्दी से जल्दी लाइसेंस देने की व्यवस्था कर रही है। फिर भी अर्थव्यवस्था में सुधार आने का नाम नहीं ले रहा। लोगों की क्रय शक्ति घटी है, जिससे कहीं न कहीं उनकी बेरोजगारी ही सामने आती है। इस बजट में सरकार को कुछ तो ऐसा जरूर करना चाहिए जिससे सैलरी क्लास के लोगों पर कर का दबाव कम हो। और समयानुसार देखा जा रहा है कि धारा 80c में जो डेढ़ लाख दी गई है वह बहुत ही कम है उसको बढ़ाकर एक संशोधित और उचित राशि करनी चाहिए।

भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसका बजट आने को लेकर दुनिया भर के सभी व्यापारी इसकी तरफ नजर रखते हैं । क्या ऐसा भारतीय बाजार में होगा जिससे हम वहां पर इंडस्ट्री लगा सके? इसलिए सरकार को सब कुछ देखते हुए ऐसा बजट लाना चाहिए जो जनता के लिए लाभकारी हो।

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