वाराणसी।बीएचयू में प्राचीन इतिहास विभाग में शिक्षको की नियुक्ति में साक्षात्कार के दौरान हिंदी भाषी अभ्यर्थियों से कुलपति द्वारा भेदभाव करने के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के बाद अभ्यर्थी और छात्रों ने विरोध तेज कर दिया है।
मंगलवार देर रात छात्रों ने पूरे परिसर में कुलपति के विरोध में पोस्टर चिपका कर इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। इसमे कुलपति से राजभाषा के सम्मान की अपील की गई है। इसके अलावा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखकर भी इसकी शिकायत की गई।
3 जनवरी शुक्रवार को साक्षात्कार के दौरान हिंदी भाषी प्रतिभागियों ने भेदभाव का आरोप लगाया। अभ्यर्थियों ने साक्षात्कार प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कुलपति पर मौलिक अधिकार और मानवाधिकार हनन का भी आरोप लगाया।
अभ्यर्थियों का कहना था कि कुलपति ने हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को अधिकतम तीन से चार मिनट में साक्षात्कार कक्ष से बाहर निकाल दिया। कुलपति के इस व्यवहार से हिंदी भाषी अभ्यर्थियों में न सिर्फ गुस्सा है, बल्कि वे स्वयं को अपमानित भी महसूस कर रहे हैं।
इसके बाद 4 जनवरी को छात्रों ने कुलसचिव से भी मुलाकात की। इस दौरान छात्रों ने कुल सचिव को शिकायती पत्र सौंपा। जिसमें लिखा कि बीएचयू में चल रही नियुक्तियों के साक्षात्कार में दर्शन, इतिहास, प्राचीन इतिहास, संस्कृत आदि कई विभागों के हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है। इस व्यवहार से भारतीय संविधान और राज्य भाषा हिंदी का अपमान हो रहा है।