भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर दिन पर दिन खतरनाक होती जा रही है। शुक्रवार को एक दिन में 4 लाख केस आए हैं। अमेरिका के महामारी विशेषज्ञ और स्वास्थ्य वैज्ञानिक डॉक्टर एंथोनी फाउची ने भी भारत सरकार से अपील की है कि कुछ दिनों के लिए देश को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। 100 साल में आई इस महामारी की ये लहर भारत में कब थमेगी इसके बस कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन 1918 में जब स्पेनिश फ्लू फैला था तो उस समय भी उसकी दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई थी। जानिए आखिर क्यों महामारी की दूसरी लहर इतनी खतरनाक हो जाती है।
पहली लहर के बाद ढिलाई
ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के कुछ रिसर्चर्स ने एक अध्ययन में इस बात का पता लगाया है कि पहली लहर में जब स्थिति नियंत्रण में आने लगती है तो अथॉरिटीज और सरकारों की तरफ से कुछ ढिलाई बरती जाने लगती है। अपनी स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने साल 1918 और 1919 में स्पेनिश फ्लू की दोनों लहरों के बीच एक तुलनात्मक अध्ययन किया था। रिसर्चर्स की मानें तो किसी भी महामारी में देर से की गई प्रतिक्रिया, अथॉरिटीज की तरफ से बिखरे हुए संसाधन और पहली लहर को नजरअंदाज करने की वजह से दूसरी लहर आने में समय नहीं लगता है।
इन रिसर्चर्स के मुताबिक साल 1918 में जब स्पेनिश फ्लू ने दुनिया में दस्तक दी थी तो उसकी भी दूसरी लहर में कई लोगों की जान गई थी। रिसर्च में टोरंटो के रिसर्चर्स भी शामिल थे। रिसर्चर्स के मुताबिक देर से लिए गए फैसलों की वजह से महामारी की दूसरी लहर जानलेवा होती है। रिसर्चर्स के मुताबिक दूसरी लहर 45 से 60 दिनों तक नजर आती है और इसके बाद इसमें गिरावट नोटिस की जा सकती है।
दुनिया में 5 करोड़ की मौत
स्पेनिश फ्लू ने भारत समेत स्विट्जरलैंड और यूरोप के बाकी देशों में जमकर तबाही मचाई थी। स्पेनिश फ्लू के समय दुनिया की आबादी 150 करोड़ थी। इस महामारी से 5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी और 50 करोड़ लोग इससे संक्रमित हुए थे। इस महामारी की 4 लहरें आई थीं और 1920 तक इसका असर देखा गया था। लेकिन सबसे ज्यादा मौतें दूसरी लहर में हुई थीं। कोरोना वायरस की ही तरह स्पेनिश फ्लू का वायरस भी लगातार म्यूटेट हो रहा था। उस समय भी दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं, खासतौर पर युवाओं की जान सबसे ज्यादा गई थी।
भारत को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान
द कनवरसेशन.कॉम पर अपने एक आर्टिकल में अमेरिकी प्रोफेसर डॉक्टर माउरा चुन ने लिखा है कि भारत में स्पनेशि फ्लू से भारत में 12 से 13 मिलियन लोगों की मौत हो गई थी।
माउरा के मुताबिक उस समय भी दूसरी लहर में भारत ने सबसे ज्यादा नुकसान देखा था। सबसे ज्यादा कहर उत्तर और पश्चिमी भारत में देखा गया था।
स्पेनिश फ्लू के समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था और मई जून में बीमारी ने जब पैर पसारे तो कुछ नियंत्रण लगाए गए थे। पहली लहर करीब 4 माह बाद थमी तो सभी उपायों को हटा लिया गया था। इसकी वजह से तेजी से संक्रमण फैला और अच्छी मेडिकल सुविधाएं न होने की वजह से ज्यादा से ज्यादा भारतीय संक्रमित हुए।