गठबंधन तोड़ा, दोस्त बदला फिर भी मुह की खायी,सत्ता नहीं मिली
शिवसेना सुप्रीम कोर्ट की शरण में
विशेष संवाददाता
महाराष्ट्र सरकार गठन के लिए गतिरोध मंगलवार को 19वें दिन भी जारी रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी गई। शाम को महामहिम रााष्ट्रपति महोदय ने इस पर मुुुुहर लगा दी।
इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान शिवसेना का ही हुआ। उसने मुख्य मंत्री पद की लालच और अति महत्वाकांक्षा के चलते भाजपा के साथ 30 वर्ष पुरानी दोस्ती तोड दी। सोचा कि एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से वो सत्ता हासिल कर लेगी। लेकिन वो भूल गयी थी कि काग्रेस उससे हाथ मिला कर अपना मुस्लिम वोट बैंक कभी भी खोना नहीं चाहेगी। विचारधारा के लिहाज से भी दोनो एक दूसरे के विपरीत हैं।
हालांकि, राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश के बाद शिवसेना इसको चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी है। इस पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है। शिवसेना का तर्क है कि राज्यपाल ने भाजपा को 48 घंटे का समय दिया था और उसको 24 घंटे जो एक पक्षपात पूर्ण निर्णय है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं वकील कपिल सिब्बल से फोन पर बात की है। राष्ट्रपति शासन लगाने के खिलाफ शिवसेना की तरफ से सिब्बल ने मामले को अदालत में चुनौती दी।
इसी बीच हिंदी टीवी चैनलों ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि गैर भाजपा गठबंधन में भी सरकार बनाने के लिए शिवसेना की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। सूत्रों ने बताया कि सहयोगियों ने शिवसेना को समर्थन देने के बदले सरकार में 50-50 यानी आधी हिस्सेदारी की मांग की है। सूत्रों ने बताया कि ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में सरकार बनने का रास्ता साफ होने के कोई आसार नहीं हैं।
बता दें कि राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 105 सदस्यों के बाद 56 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास सरकार बनाने का दावा करने के लिए सोमवार शाम साढ़े सात बजे तक का समय था। इससे पहले सोमवार दिन में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भेंट की और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। एनसीपी के 54 विधायक हैं और कांग्रेस के 44 विधायक हैं।
सुबह एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिख कर तीन दिन का वक्त माँगा था जबकि उनको मंगलवार की शाम साढे आठ बजे तक का ही समय दिया गया था।
गौरतलब है कि सोमवार को शिवसेना राज्यपाल को बहुमत जुटाने लायक संख्या को लेकर समर्थन पत्र नहीं सौंप सकी और उसने भी इसके लिए दो दिन का और समय माँगा था जो नहीं मिला।
इस सियासी खेल में यदि किसी की फजीहत हुई और जो सबसे ज्यादा घाटे में रही वह सिर्फ शिवसेना ही है। सोशल मीडिया पर शिवसेना के संस्थापक और उद्धव ठाकरे के पिता बाल ठाकरे का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बाल ठाकरे यह कहते नजर आया है कि कांग्रेस से गठबंधन हिजड़े ही करते हैं ।
दिक्कत शिवसेना को अपने विधायकों को एकजुट रखने की भी कम नहीं है। फिलहाल उनको मुम्बई के एक होटल मे रखा गया है। लेकिन सेना ऐसा कब तक उनको रोक सकेगी। सेना विधायकों को इस बात का अच्छी तरह अंदाजा है कि भाजपा से अलग होने के बाद और कांग्रेस से हाथ मिलाने की शिवसेना की ललक ने उसके मतदाताओं को अच्छा संदेश नहीं दिया है। वे अपने क्षेत्र मे कौन सा मुह लेकर जाएँगे ?
देखना यह दिलचस्प होगा कि राज्य मे धारा 356 लगने के बाद ऊट किस करवट बैठता है। फिलहाल तो शिवसेना बैकफुट पर है