भावना पांडेय

बेंगलुरु। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्‍तान को एक बार फिर से पूरी दुनिया के सामने उसकी औकात बता दी। जयशंकर ने कहा कि भारत को पाकिस्‍तान से नहीं लेकिन उसे टेररिस्‍तान से बात करने में समस्‍या है। इतना ही नहीं उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर मुद्दे से निपटने के लिए एक पूरे उद्योग का निर्माण किया हैं।

विदेशमंत्री जयशंकर ने यह बात मंगलवार को न्‍यूयार्क में एशिया सोसाइटी नामक सांस्‍कृतिक संगठन की ओर से अयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधन के दौरान कही। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत को पाकिस्‍तान से बातचीत करने में कोई समस्‍या नहीं है लेकिन हमें टेररिस्‍तान से बात करने में समस्‍या है और उन्‍हें सिर्फ पाकिस्‍तान बने रहना होगा, दूसरा नहीं। उन्‍होंने इस मंच से पूरी दुनिया के समाने यह स्‍पष्‍ठ कर दिया कि अनुच्‍छेद 370 हटाये जाने का भारत की बाह्य सीमाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है।

उन्‍होंने कहा कि भारत ने अनुच्‍छेद 370 के अधिकतर प्रावाधानों को हटाने और जम्मू कश्‍मीर को दो केन्‍द्र शासित राज्यों जम्मू कश्‍मीर एवं लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया तब इस पर पाकिस्‍तान तथा चीन से प्रतिक्रिया आयी थी। जम्मू कश्‍मीर को मिले विशेष दर्जे को 5 अगस्‍त को हटाये जाने के बाद पाकिस्‍तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था और भारतीय उच्‍चायुक्त को भी पाकिस्‍तान से निष्‍कासित कर दिया था। पाकिस्‍तान ने भारत के साथ सभी व्‍यापारिक संबंध भी समाप्‍त कर दिए थे। इतना ही नही पाकिस्‍तान बराबर भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रच रहा है और पांच अगस्‍त के बाद से कई बार भारत पाकिस्‍तान की सीमा पर सीजफायर का उलंघन कर चुका हैं।

चीन ने कश्‍मीर में स्थिति को लेकर इसे गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए और सावधानी से काम करना चाहिए । खासकर ऐसी कार्रवाईयों से बचना चाहिए जो एकतफा यथास्थिति को बदलता हो और तनाव को बढ़ाता हो।

जयशंकर ने कहा कि हमने इसमें अपनी मौजूदा सीमाओं में रहकर सुधार किया है। जाहिर तौर पर पाकिस्‍तान और चीन से प्रतिक्रियाएं आयीं। दोनों की प्रतिक्रियाएं अलग अलग थीं।

उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि पाकिस्‍तान एक ऐसा देश जिसने कश्‍मीर मुद्दे से निपटने के लिए वास्‍तव में समूचे आतंकवाद के उद्योग का रचा हैं। मेरी रया में यह वाकई में कश्‍मीर से बहुत बड़ा मुद्दा है और मुझे लगता है कि उन्‍होंने इसे भारत के लिए निर्मित किया है। उन्‍होंने कहा कि जम्मू कश्‍मीर से विशेष दर्जा समाप्‍त करने के भारत के फैसले के बाद पाकिस्‍तान को अब लगता है कि अगर यह नीति सफल हो जाती है तो 70 साल का उसका निवेश घाटे में पड़ जाएगा। इसलिए पाकिस्‍तान की प्रतिक्रिया कई रुपों में गुस्‍से, निराशा के रुप मे सामने आ रही है क्योंकि लंबे समय से एक पूरा का पूरा आतंकवाद उद्योग खड़ा किया है।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि आज के समय में शासन के एक वैध साधन के रुप में आप आतंकवाद का इस्‍तेमान ल करते हुए ऐसी नीतियां नहीं बना सकते हैं। इस अवसर पर उन्‍होंन इतने वर्षों से जम्मू कश्‍मीर में विकास, अवसरों की कमी और वहां के हालात का हवाला भी दिया, जिसने वास्‍तव में अलगाववाद की भावना, अलगाववाद पैदा हुआ जिसका इस्‍तेमाल आतंकवाद के लिए किया गया।

कश्‍मीर पर वार्ता के लिए पूर्व की शर्त के तौर पर पाकिस्‍तान को क्या करना चाहिए ? इस प्रश्‍न के जवाब में उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि इसे गलत अर्थ मे लिया जा रहा है। सबसे पहले तो पाकिस्‍तान को अपने स्‍तर पर कुछ बेहतर करना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो इससे भारत के साथ पड़ोसी देश के संबंध सामान्‍य होंगे। चीन पर उन्‍होंने कहा कि अनुच्‍छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद जम्मू कश्‍मीर में जो कुछ भी हुआ, चीन ने उसे गलत समझा। मैं नही जानता कि वे ऐसा क्यों मानते हैं कि इसका उन पर असर पर पड़ेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here