कैबिनेट में 18 मंत्री चाहिए , भाजपा 13 से ज्यादा देने पर राजी नहीं
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच खींचतान अब थमती नजर आ रही है।
पिछले कई दिनों से शिवसेना मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर अड़ी हुई थी, जबकि भाजपा किसी भी सूरत में सीएम का पद देने के लिए तैयार नहीं थी। ताजा जानकारी के अनुसार अब शिवसेना अपनी मांग को लेकर थोड़ी नरम हुई है और प्रदेश में सरकार गठन के लिए भाजपा के साथ सहयोग करने पर राजी हो गयी है। रिपोर्ट की मानें तो भाजपा शिवसेना को 14 कैबिनेट मंत्री के पद देने के लिए तैयार है, लेकिन शिवसेना 18 कैबिनेट मंत्रालय की मांग कर रही है।
भाजपा अहम मंत्रालय देने के पक्ष में नहीं
शिवसेना की मांग के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि वह गृह मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय शिवसेना को किसी भी सूरत में नहीं देंगे। हालांकि भाजपा शिवसेना को राजस्व, वित्त, पीडब्ल्यूडी जैसे अहम मंत्रालय देने के लिए तैयार है। भाजपा में एक तबका इन अहम मंत्रालयों को भी शिवसेना को देने के खिलाफ है, बावजूद इसके सरकार गठन के लिए भाजपा इन अहम मंत्रालयों को शिवसेना को देने के लिए राजी है ताकि प्रदेश में स्थिर सरकार का गठन हो सके।
इन फॉर्मूले पर हो रही चर्चा
इसके साथ ही भाजपा ने शिवसेना को प्रस्ताव दिया है कि वह अपने किसी भी नेता को उप मुख्यमंत्री बना सकती है। गौरतलब है कि 2014 में भाजपा और शिवसेना के बीच 26:13:4 का फार्मूला अपनाया गया था, यानी भाजपा को 26 मंत्रालय मिले थे, शिवसेना को 13 मंत्रालय दिए गए थे, जबकि अन्य सहयोगियों को चार मंत्रालय दिए गए थे। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं ऐसे में यहां अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं।
शिवसेना का प्रस्ताव
2014 से इतर शिवसेना ने इस बार नया फॉर्मूला 21:18:4 का दिया है। लेकिन भाजपा शिवसेना को 18 मंत्रालय देने के लिए राजी नहीं है। भाजपा और शिवसेना के नेताओं के बीच आम सहमति बनाने के लिए लगातार बातचीत का दौर जारी है। इस दौरान 1995 के फॉर्मूले का भी प्रस्ताव सामने रखा गया है। उस समय शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद मिला था, जबकि भाजपा को उपमुख्यमंत्री का पद, साथ ही भाजपा को गृह मंत्रालय, वित्त, पीडब्ल्यूडी जैसे अहम विभाग दिए गए थे। लेकिन इस फॉर्मूले को पहले ही चरण की चर्चा में ही भाजपा ने सिरे से खारिज कर दिया।