अंकुर कुमार
पाकिस्तान के परमाणु षडयंत्र का खुलासा हुआ है। इस खुलासे से पूरी दुनिया को अलर्ट होने की जरूरत है। इंडिया टूडे को हाई रिजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें मिली हैं जो संभावित न्यूक्लियर सेंट्रीफ्यूज फैसिलिटी हो सकती है। यह जगह कहुटा में खान रिसर्च लेबोरेट्री की पुरानी लैब से महज 800 मीटर की दूरी पर है। साल 2014 तक यह एक हेलीपैड हुआ करता था। इन घातक नई तस्वीरों के पीछे काला अतीत है। स्वतंत्र ग्लोबल थिंक टैंक्स के शोध पहले इशारा दे चुके हैं कि इसी लोकेशन पर कोई निर्माणाधीन ढांचा स्थित है।
‘द न्यूक्लियर थ्रेट इनीशिएटिव’ (NTI), जेन्स और द इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी सहमत थे कि उस समय जो ढांचा बन रहा था, वो न्यूक्लियर सेंट्रीफ्यूज से मिलता जुलता था। न्यूक्लियर सेंट्रीफ्यूज़ उस फैसिलिटी को कहते हैं जहां यूरेनियम को संवर्धित कर न्यूक्लियर बम बनाने लायक ताकतवर ईंधन बनाया जाता है। कहुटा सेंटर पर निर्माण जारी था, इसलिए फॉरेन वॉचडाग्स किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे। इंडिया टुडे की ओर से हासिल की गई नई सैटेलाइट तस्वीरों से पुष्टि हुई कि ढांचा 6 हेक्टेयर में फैला है और अब पूरी तरह तैयार है। इसके चारों और दो मीटर मोटी बाउंड्री वॉल है। साथ ही छत को इस तरह बनाया गया है जिससे यहां की असलियत सामने ना आ सके। यानी दुनिया से इस फैसिलिटी को छुपा कर रखने की पूरी कोशिश की गई है।
अल जजीरा को दिए साक्षात्कार में इमरान ने भी सांकेतिक रूप से स्वीकार किया कि पाकिस्तान भारत के साथ एक पारंपरिक युद्ध में हार सकता है, और इस मामले में परिणाम भयावह हो सकते हैं। कश्मीर पर भारत को परमाणु हमले की धमकी देने के बारे में एक सवाल पर इमरान ने चैनल से कहा, “कोई भ्रम नहीं है। मैंने जो कहा है, वह यह है कि पाकिस्तान कभी भी परमाणु युद्ध शुरू नहीं करेगा। मैं शांतिवादी हूं। मैं युद्ध विरोधी हूं। मेरा मानना है कि युद्ध से समस्याओं का समाधान नहीं होता। युद्ध के अनपेक्षित परिणाम होते हैं।
वियतनाम, इराक के युद्ध को देखें, इन युद्धों से अन्य समस्याएं पैदा हुईं जो शायद उस कारण से ज्यादा गंभीर हैं जिसे लेकर ये युद्ध शुरू किए गए थे।” इंडिया टुडे ओपन सोर्स इंवेस्टीगेशन (OSINT) ने अपनी जांच में जो पाया है वो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए हैरान करने वाला खुलासा हो सकता है। इस जांच से सामने आया है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बयान खोखला नहीं है। उनकी मानवता को बर्दाश्त ना की जा सकने वाली धमकी असल भी हो सकती है।