विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। एक तरफा सेक्युरलिज्म यानी पंथ निरपेक्षता की बात करने वाले कठमुल्लो को साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप में जेल में ठूसने का अब समय आ गया है। ये बदजात देश में नफरत का जहर घोल कर वैमनस्य की दीवार खींचना चाहते हैं। इनको हिन्दू- मुस्लिम एकता से कोई मतलब नहीं। ये आपको तो टोपी पहना देंगे मगर खुद तिलक लगाना कुफ्र समझेंगे। 

पिछले दिनों जब नवरात्रि में होने वाले गरबा में सिर्फ हिन्दू के ही प्रवेश का एलान किया गया तो ऐसी मिर्ची लगी कि गंगा-जमुनी तहजीब को खतम करने का बजरंग दल पर आरोप लगा हाय तौबा करने लगें। मगर किसी ने अपना मुस्लिम नाम रख कर दुर्गा पूजा क्या की, उसकी तो आफत आ गयी। 

ताजा वाकया तृणमूल कांग्रेस सांसद नुसरत जहां का है। इस अभिनेत्री सांसद ने एक जैन युवक से प्रेम विवाह के बाद भी अपना नाम नहीं बदला। अपने मुस्लिम नाम के साथ दुर्गा पूजा क्या की, मौलाना ने तूफान खड़ा कर दिया।

सहारनपुर के एक कट्टर दंगाई देवबंदी मुफ्ती असद कासमी ने नुसरत जहां की दुर्गा पूजा को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए उन्हें अपना नाम बदलने तक की सलाह दे डाली। मुफ्ती कासमी ने नुसरत पर मुसलमान होकर इस्लाम को बदनाम करने का आरोप लगा दिया।

मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि इस्लाम को ऐसे लोगों की बिल्कुल जरूरत नहीं है जो मुस्लिम नाम रखकर इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम कर रहे हैं। 

नुसरत जहां इस्लामिक धर्मगुरुओं के निशाने पर पहले भी आती रही हैं, इस्लामिक धर्मगुरुओं ने नुसरत जहां की बिंदी तथा सिंदूर लगाने को लेकर भी आलोचना की थी। 

एक सवाल देश का बहुसंख्यक वर्ग पूछना चाहता है कि क्या जहर घोलने वाले ऐसे मुल्लो के अंग विशेष पर इतने प्रहार नहीं करने चाहिए कि ये महीनों न बैठ सके और न सो सके? या क्या इनको पाकिस्तान रसीद नहीं कर देना चाहिए ?

मुस्लिम कराए मस्जिद में डांडिया तब जाने गंगा-जमुनी तहजीब – निखिल त्रिपाठी ‘रुद्र’

अभी बीते दिनों वाराणसी के बजरंग दल के संयोजक निखिल त्रिपाठी ‘रुद्र’ ने एक खुला पत्र जारी किया था कि डांडिया व गरबा में आधार कार्ड के आधार पर प्रवेश हो। ताकि गैर सनातनी युवक प्रवेश न कर पाए। क्योंकि गैर सनातनियों को हिन्दू परम्परा से कोई लेनदेन नहीं है। वे तो लव जेहाद के फेर में या छेड़छाड़ करने ही पहुंचते हैं।

रुद्र ने आज इस मसले पर बयान जारी करते हुए कहा कि जो मुस्लिम समाज गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देकर मख़ौल उड़ा रहा था। अब मुस्लिम धर्म गुरुओं को क्यो बुरा लग रहा है जब नुसरत पूजा कर रही हैं। क्या मुस्लिम युवक सिर्फ हिन्दू औरतों के साथ डांडिया खेलेंगे। 

अरे इतना ही गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करनी है तो कराए मस्ज़िद में डांडिया और भेजे मुस्लिम औरतों को डांडिया खेलने के लिए। तब जाने गंगा जमुनी तहजीब।

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