नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की महत्वाकांक्षी Pradhan Mantri MUDRA Yojana (PMMY) से नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स बढ़ रहे हैं। यही बात ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंकों को अपने-अपने यहां इस योजना के तहत दिए जाने वाले मुद्रा लोन की समीक्षा का आदेश जारी किया है। जानकारों के मुताबिक, मंत्रालय का यह कदम इन खातों में बढ़ते एनपीए के डर और शंकाओं के बीच इस योजना को नए और सुधरा स्वरूप देने के मकसद से लिया गया है।

‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ को एक सूत्र ने बताया कि सरकारी बैंक मुद्रा योजना के हर पहलुओं की समीक्षा कर रहे हैं, जिसमें भौगोलिक पहुंच, बैड लोन और बेहतर फीचर्स की जरूरत के साथ लाभार्थियों को और अच्छी एक्सेस सरीखी चीजें शामिल हैं। यह न सिर्फ सरकारी बैंकों में जारी विचार-मंथन की प्रक्रिया का हिस्सा है, बल्कि मोदी सरकार के उन प्रयासों को भी समर्थन देने के लिए जरूरी है, जिसके तहत अगले पांच साल में पांच ट्रिलयन डॉलर वाली देश की इकनॉमी बनाने का लक्ष्य है।

सूत्र ने आगे बताया कि छोटे और मझोले उद्यमियों के लिए मुद्रा लोन की सीमा मौजूदा रकम से बढ़ाकर दोगुणी की जा सकती है। मुद्रा योजना, सस्ती दरों (आठ से 12 फीसदी के बीच) पर कमजोर तबके के लोगों तक को कर्ज मुहैया तो कराती है, पर विशेषज्ञ पूर्व में चेता चुके हैं कि इससे एनपीए बढ़ने का भी जोखिम है, क्योंकि ऐसा लोन कोलेट्रल-फ्री होता है।

इससे पहले, मार्च 2019 तक मुद्रा लोन में एनपीए बढ़कर 5.28 फीसदी हो गया था, जिसकी अदायगी बाकी है। यह पिछले साल 3.96 प्रतिशत था। वहीं, बैड लोन का अनुपात बैंकों के कुल एनपीए स्तर से काफी नीचे है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस फिसकल ईयर में कर्जदाताओं ने 23 अगस्त तक 83,758 करोड़ रुपए सैंक्शन किए, जबकि 80,030 करोड़ रुपए चुकाए गए। वहीं, पिछले फिसकल में कर्जदाता तीन लाख करोड़ रुपए का टारगेट पार कर गए थे, जिसमें तब 3.12 लाख करोड़ रुपए का लोन चुकाया गया था। इस साल उन्होंने वित्त वर्ष 19 के स्तर को लांघने का लक्ष्य रखा है।

देर से ही सही, मगर मुद्रा लोन, एमएसएमई और किसानों के लिए कुछ अन्य योजनाओं के साथ भविष्य में आने वाले बैड लोन के संकट की चिंता का बड़ा कारण बन सकते हैं। पिछले साल, पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी चेताते हुए कहा था- मशहूर होने के बाद भी मुद्रा लोन और किसान क्रेडिट कार्ड की गहनता से समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि असल चीजें सामने आ सकें।

साभार : जनसत्ता

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