मामले पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ‘हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते। यह कानून व्यवस्था का मामला है। बसें कैसे जलीं? आप लोग न्यायिक हाईकोर्ट से संपर्क क्यों नहीं करते?’ जामिया की एलुमनी एसोसिएशन की ओर से कोर्ट में पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि ‘यह एक क्रॉस स्टेट इश्यू है और तथ्यों की जांच एसआईटी से कराए जाने की जरूरत है। कोर्ट इस मामले से अपना पीछा कैसे छुड़ा सकता है। कोर्ट ने तेलंगाना एनकाउंटर पर सुनवाई की। हम चाहते हैं कि कोर्ट ऐसा ही कोई आदेश जारी करे।’

इंदिरा जयसिंह ने अदालत में एलुमनी एसोसिएशन और कॉलिन गोंसाल्वेस ने प्रदर्शनकारी छात्रों का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान एसोसिएशन की वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का बचाव करना होगा। इस पर कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसें कैसे जलीं? इस पर वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि एएमयू और जामिया के छात्रों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।

जयसिंह ने कहा कि कानून है कि यूनिवर्सिटीज में पुलिस बिना वीसी की इजाजत के दाखिल नहीं हो सकती। एक छात्र की आंख चली गई, वहीं कई छात्रों की टांगें टूटी हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी छात्र की आंखों की रोशनी नहीं गई है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शन के आरोप में किसी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया है। कॉलिन गोंजाल्वेस ने कोर्ट में मांग की कि पूर्व जज को एएमयू में तथ्यों की जांच के लिए भेजा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तारी से पहले नोटिस क्यों नहीं दिया गया और क्या उन्हें चिकित्सा सुविधा दी जा रही है?

गौरतलब है कि सोमवार को जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस दौरान चीफ जस्टिस बोबडे ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप स्टूडेंट हैं, इसलिए आपकों हिंसा करने का अधिकार नहीं मिल जाता, अगर प्रदर्शन, हिंसा और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो हम सुनवाई नहीं करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को इस मसले पर सुनवाई के लिए कहा था।

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