नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर का “बागी विधायकों” को अयोग्य घोषित करने का फ़ैसला सही था या नही। इस मामले मे देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
कोर्ट यह भी तय करेगा कि बाग़ी विधायक उपचुनाव लड़ सकते है या नही।
दरसअल बागी विधायकों ने स्पीकर के उस आदेश को चुनोती दी है जिसमें स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। साथ इन बागी विधायकों को ही विधानसभा के पूरे सत्र तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी।
कर्नाटक के बागी विधायकों के इस मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अगर कोई विधायक भ्रष्टाचार को लेकर इस्तीफा देना चाहे और वह भ्रष्टाचार का हिस्सा न बनना चाहे तो ऐसे मे क्या किया जाए..?
कर्नाटक विधायको के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अनुच्छेद 143 (3) को संविधान पीठ के पास भेज दिया जाना चाहिए।
यदि कोई विधायक बहुमत परीक्षण के एक दिन पहले इस्तीफा दे और कहे कि आप मेरा इस्तीफा स्वीकार करे। बेंच के इस सवाल पर सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा- मैं यह नही कह रहा हूँ कि इस्तीफे पर कोई रोक लगनी चाहिये। बस इतना हो कि स्पीकर परिस्थिति के अनुसार यह तय करे कि इस्तीफा देने का कारण सही है या नही।
सिब्बल ने यह भी कहा कि देखना यह होगा कि इस्तीफा देने के पीछे की मंशा सही थी या नही..