ओवैसी मियां मस्जिद चाहिए तो 16वीं सदी में लौट जाओ
ज्यादा पीछे मत चले जाना, वर्ना राम मंदिर ही मिलेगा
ओवैसी के मस्जिद मांगने पर मिला करारा जवाब
पदम पति शर्मा
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद AIMIM चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने फिर से चुप्पी तोड़ते हुए नफरत फैलाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कोर्ट के फैसले की धज्जियां उडाते हुए कहा है कि वह अपनी मस्जिद वापस चाहते हैं। शुक्रवार को ट्वीट कर उन्होंने कहा, “मुझे मेरी मस्जिद वापस चाहिए।”लगता है यह मस्जिद उनके पूर्वजों की थी।
लगता है हमलावर आक्रान्ता बाबर इस साम्प्रदायिकता से सराबोर देश को बाँट कर अपनी राजनीति चमकाने वाले सांसद का पूर्वज था। इसके बाप दादा क्या थे, यह हर कोई जानता है। वोट बैंक के लिए इतना नीचे गिर जाएगा यह मुल्ला, कि न्यायालय का अपमान करने मे भी इसको संकोच नहीं है ? इसके भाई ने भी जहर उगलते हुए सौ करोड़ हिन्दुओं को 15 मिनट में साफ करने की बात कही थी और जमानत पर है।
ओवैसी ने यह कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वह सम्मान करेगा। क्या यह बयान सम्मान है या अपमान ? ऐसे शख्स को जेल मे होना चाहिए इस बयान पर।
देश की जनता इस गलीज की चाहत पर चुप नहीं बैठी। एआईएमआईएम नेता के इसी ट्वीट पर लोगों ने उन्हें निशाने पर ले लिया। ट्रोल करते हुए टि्वटर यूजर्स बोले कि अगर आपको अपनी मस्जिद चाहिए तो आप 16वीं शताब्दी में चले जाइए, क्योंकि यह मुगलकालीन भारत नहीं है।
एक अन्य यूजर ने लिखा, “ज्यादा पीछे मत भेज देना, वरना राम मंदिर ही मिलेगा।” वहीं, कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने ओवैसी के ही अंदाज में लिखा- हमें अपने मंदिर चाहिए और लोग चाहिए। दरअसल, ओवैसी ने हाल ही में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद केस और सुप्रीम कोर्ट के फैसले समेत विभिन्न मुद्दों पर ‘outlook india’ से बात की थी।
और क्या इंटरव्यू में बोले ओवैसी?: आउटलुक की प्रीथा नायर ने इस इंटरव्यू में ओवैसी से पूछा था- आपने कहा अयोध्या फैसले में कानून पर आस्था की जीत हुई…? जवाब आया, “यह दोनों पक्षों में सिविल सूट था। कोर्ट ने कहा कि ऐसी ढेर सारे लोगों की मान्यता है कि श्रीराम का जन्म मस्जिद के नीचे हुआ था, जिसे 1992 में ढहा दिया गया था। मुझे इसलिए लगता है कि कानून पर आस्था की जीत हुई है।”
दूसरा बिंदु उकेरते हुए AIMIM नेता ने आगे कहा- क्या मस्जिद नहीं गिराई गई, क्या उसी के हिसाब से फैसला आया? तीसरी बात यह कि हमारी लड़ाई जमीन के टुकड़े के लिए नहीं थी। यह हमारे कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित कराने के लिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मस्जिद बनाने के लिए किसी मंदिर को नहीं ढहाया गया, इसलिए मुझे मेरी मस्जिद वापस चाहिए।
कोर्ट ने स्पष्टतः कहा था कि विवादास्पद ढांचे के नीचे पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर के अवशेष थे।
यह कट्टर इस्लामिक नेता अंधा हो चुका है। वह इस बहाने मुसलमानों को उकसाने की नापाक कोशिश कर रहा है। इसके खिलाफ तत्काल एफआईआर होनी चाहिए। यह सरासर कोर्ट की अवमानना है।