केन्द्र सरकार ला रही है संविधान संशोधन विधेयक

बीजेडी को साधे रखने की मंशा

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार बीजेडी को साधे रखने की मंशा से ओडिशा में विधानपरिषद के सृजन के लिए संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है। बीजेडी ने पिछले पांच साल के दौरान राज्यसभा में कई अहम मौकों पर सरकार का साथ दिया है और पिछले एक साल से वह केंद्र पर विधानपरिषद के गठन के लिए दबाव डाल रहा है। इधर, खबर है कि बीजद को इस बारे में केंद्र की तरफ से ठोस आश्वासन मिला है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इसी सत्र में यह विधेयक आ सकता है।

हालांकि राज्यसभा में एनडीए के पास कार्यशील बहुमत है लेकिन स्पष्ट बहुमत की अभी भी कमी है। शिवसेना की तीन सीटें कम हुई हैं। इसलिए बीजद की सात सीटें अहम हैं। जो कार्यशील बहुमत भाजपा को हासिल है, वह भी बीजद की वजह से है। लेकिन पूर्व में जब भाजपा की सीटें कम थीं तब अहम मौकों पर बीजद ने सरकार का साथ दिया था या वाकआउट करके सरकार के खिलाफ वोट करने से बचा था।

केंद्र के पास 49 सीट का प्रस्ताव

ओडिशा की बीजद सरकार ने पिछले साल ही 49 सीटों वाले विधानपरिषद के सृजन के लिए प्रस्ताव पारित किया था। प्रस्ताव केंद्र के पास है। केंद्र यदि मंजूर करता है तो संसद में संविधान संशोधन विधेयक पारित करना होगा। संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत विधानपरिषद बनाने का प्रावधान है।

प्रधानमंत्री से पटनायक की बातचीत

बीजद सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी प्रधानमंत्री से बात कर चुके हैं। हाल ही में सर्वदलीय बैठक के दौरान भी बीजद ने इस मुद्दे को उठाया था। बाद में प्रधानमंत्री द्वारा बीजद की तारीफ किए जाने से बीजद को उम्मीद है कि केंद्र इस मामले पर फैसला लेगा। केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस मामले पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। सरकार बीजद को साधे रखने के लिए संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है।

क्या है चुनौती?

दरअसल इस मामले में केंद्र सरकार की चुनौती यह है कि करीब 10 राज्यों से विधानपरिषद बनाने की मांगें लंबित हैं। इनमें असम, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहां पहले विधान परिषदें थीं, लेकिन बाद में खत्म कर दी गईं। लेकिन अब ये राज्य फिर से मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ चार अन्य राज्य दिल्ली, हिमाचल, राजस्थान और उत्तराखंड भी विधान परिषद चाहते हैं। यदि ओडिशा की मांग मानी जाती है तो दूसरे राज्य भी दबाव बनाएंगे।

छह राज्यों में विधानपरिषद

इस समय छह राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना तथा महाराष्ट्र में विधान परिषदें हैं। जबकि जम्मू-कश्मीर के विभाजन की वजह से वहां विधानपरिषद खत्म हो गई है।

क्यों जरूरी

आमतौर पर सत्तारुढ़ दल अपने उन उम्मीदवारों को विधानपरिषद भेजते हैं जिन्हें किसी वजह से टिकट नहीं मिल पाया हो या फिर चुनाव हार गए हों। कुछ सीटें शिक्षकों आदि के लिए भी होती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here