गुप्त मतदान का इस्तेमाल नहीं

प्रोटेन स्पीकर फ्लोर टेस्ट कराएगे

कार्रवाई का सीधा प्रसारण होगा

सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर का चयन होगा

राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाएंगे

अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक

नई दिल्ली । महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडनवीस सरकार गठन पर उपजे विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से भाजपा ने ली राहत की सांस।
महाराष्ट्र राजनीतिक विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने 26 नवम्बर की सुबह 10.37 बजे महाराष्ट्र सरकार निर्माण के मामले में उपजे मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा महाराष्ट्र की सत्तासीन भाजपा की सरकार सदन में 27 नवम्बर को शाम पांच बजे से पहले सदन मे अपना बहुमत सिद्ध करे।

इससे पहले 25 नवम्बर को इस मामले में सुनवाई करने के बाद न्यायालय ने ऐलान किया था कि इस मांग पर अपना फैसला 26 नवम्बर को 10.30 बजे सुनायेगी। इस प्रकार इस मामले में भाजपा को फैसला सुनाने के दिन तक 72 घण्टे का पर्याप्त अप्रत्यक्ष रूप से समय मिल गया। न्यायालय के इस फैसले के आने से पहले 25 नवम्बर की सांय 162 विधायकों के साथ लेकर हयात होटल मे शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने अपने बहुमत का शक्ति प्रदर्शन किया।

सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम संसदीय परंपरा में कोर्ट का दखल नहीं देते।

इससे पहले 24 नवम्बर को न्यायालय ने कल से ही विधानसभा में शक्ति परीक्षण तुरंत कराने की शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस की मांग की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। विपक्षी दल तर्क देते हैं कि ऐसी परिस्थिति में देवेन्द्र सरकार को अधिक समय देना एक प्रकार से उन्हें जीवनदान देना और लोकशाही से खिलवाड़ करना ही होगा।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, बी रमना व संजीव खन्ना की पीठ ने पूरे मामले को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया।

महाधिवक्ता तुषार मेहता ने सरकारी पक्ष रखा, देवेन्द्र फंडनीस का पक्ष मुकुल रोहतगी व अजित पवार का पक्ष पूर्व मंनिन्दर सिंह ने रखा। वहीं शिवसेना,कांग्रेस व राकांपा का पक्ष कपिल सिब्बल, सहित कई नेता व विधायक भी न्यायालय में उपस्थित थे। महाधिवक्ता ने राज्यपाल के पास सरकार बनाने से पहले 170 विधायकों के समर्थन का पत्र न्यायालय में सौंपा। इसके बाद महाधिवक्ता ने कहा कि राज्यपाल का काम समर्थन की जांच करना नहीं है। विधानसभा में शक्ति परीक्षण कब हो इसे राज्यपाल के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वहीं विपक्ष के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सत्तापक्ष के आरोपों सिरे से नकारते हुए कहा कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए तैयार हो चुकी शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस गठबंधन की सरकार के बीच अचानक आनन फानन में अल्पमत की भाजपा की सरकार थोप दी गयी।विपक्ष के अधिवक्ता ने पुरजोर मांग की कि तुरंत विधानसभा में शक्ति परीक्षण का आदेश देने की गुहार लगायी। हमारे पास 156 विधायकों का पूर्ण बहुमत है।इसके साथ अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया जाय। संसद में भी इस मामले में विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र में बलात सरकार बनाने का पुरजोर विरोध कर रही है।वहीं सर्वोच्च न्यायालय में सरकारी पक्ष के अधिवक्ताओं ने तुरंत शक्ति परीक्षण का आदेश देने का विरोध करते हुए कहा कि विधानसभा की परंपराओं के अनुसार ही शक्ति परीक्षण होना चाहिए। राज्यपाल ने आठ दिन का समय दिया है शक्ति परीक्षण करने का। कम से कम 7 दिन का समय शक्ति परीक्षण के लिए न दिया जाय। सत्तापक्ष की दलीलों से एक बात साफ उजागर हो गयी कि आज के दिन महाराष्ट्र सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है।

फ्लोर टेस्ट का लाइव टेलिकास्ट किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत के दौरान गुप्त मतदान नहीं होगा, पूरी प्रक्रिया पांच बजे तक पूरी हो जानी चाहिए।कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के भी आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि इसमें अभी तक शपथ नहीं हुई है, कल शाम पांच बजे से पहले विधायकों की शपथ हो और फिर फ्लोर टेस्ट करवाया जाए। जस्टिस रमना ने कहा कि कोर्ट और विधायिका के अधिकार पर लंबे समय से बहस चली आ रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए। लोगों को अच्छे शासन का अधिकार है।राज्यपाल के फैसले की न्यायिक समीक्षा हो सकती है या नहीं? इस पर कोर्ट ने सभी पक्षकारों को लिखित ,दलीलें 8 हफ्ते में देने को कहा है। वहीं SC ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों, नागरिकों के सुशासन के अधिकार को बनाए रखने के लिए महाराष्ट्र में बहुमत निर्धारित करने के लिए फ्लोर टेस्ट के लिए अंतरिम आदेश पारित करना आवश्यक था।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अजित पवार ने कहा था कि मैं ही एनसीपी हूं। मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मैंने अजित पवार से मुलाकात की है। उनके पास एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन हासिल है।
आज फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका अगर विधायिका के काम काज में दखल देती है तो अंतिम क्षण होता है , महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट उनमें से एक है ।

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