सीएए हिंसा के आरोपियों के पोस्टर हटाने संबंधित इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आखिरकार योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। यूपी सरकार एक दिन तक इस मामले पर ऊहापोह की शिकार थी। उसकी ओर से कल कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने को लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है और फिर कहा गया कि अभी हाईकोर्ट का फैसला पूरा पढ़कर राय लेने के बाद कोई निर्णय होगा। अब उसकी याचिका पर सुनवाई गुरुवार को अपराह्न 10.30 बजे होगी। उत्तर प्रदेश के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने कहा कि यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

लखनऊ प्रशासन ने हिंसा के 57 आरोपियों की तस्वीर शहर के प्रमुख चौराहों पर लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए अवकाश के दिन सुनवाई की और इसे हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इसे व्यक्तिगत आजादी का खुला अतिक्रमण करार दिया था। जबकि राज्य सरकार का कहना था कि यह अराजकता और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए किया गया था।

पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन के मामले में पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को दंगाई करार देते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था और उनमें से 57 के खिलाफ वसूली नोटिस जारी किए थे। बीते गुरुवार को जिला प्रशासन ने नगर के हजरतगंज समेत चार थाना क्षेत्रों में 100 प्रमुख चौराहों और स्थानों पर होर्डिंग लगवाई थीं, जिसमें इन आरोपियों की बड़ी तस्वीरें, पता और निजी जानकारियां भी छपवाई गई थीं।

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