बीजिंग ( एजेंसी ) चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुरुवार को एशिया-प्रशांत में शीत युद्ध के दौरान तनाव की वापसी के खिलाफ चेतावनी दी है। साथ ही कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ने और जलवायु परिवर्तन पर अधिक से अधिक सहयोग का आग्रह किया।
ताइवान पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच बीजिंग और वाशिंगटन के बीच जलवायु पर एक आश्चर्यजनक सौदे के बाद शी जिनपिंग ने कहा कि इस क्षेत्र के सभी देशों को संयुक्त चुनौतियों पर मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के मौके पर आयोजित हुए सम्मेलन में कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र शीत युद्ध काल के टकराव और विभाजन में दोबारा नहीं आ सकता है और न ही होना चाहिए।
साथ ही उन्होंने कोरोना टीकाकरण अंतर को बंद करने के लिए एक संयुक्त प्रयास का आह्वान किया, जिससे विकासशील देशों के लिए कोविड -19 टीके अधिक सुलभ करने की भी चर्चा की। उन्होंने न्यूजीलैंड की मेजबानी वाले शिखर सम्मेलन में कहा, ‘टीके निष्पक्ष और समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।’
वहीं जलवायु दूत शी झेनहुआ ने कहा है कि चीन और अमेरिका ने ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र की वार्ता में जलवायु संबंधी उपायों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया है। झेनहुआ ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि दुनिया के कार्बन उत्सर्जन करने वाले दो बड़े देश जलवायु परिवर्तन पर 2015 के पेरिस समझौते के दिशा निर्देशों पर आधारित एक संयुक्त बयान में अपने प्रयासों का खाका पेश करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में बातचीत के तहत एक समझौते के मसौदे के अनुसार, सरकारें कोयला ऊर्जा में कमी पर विचार कर रही है जो मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है। स्कॉटलैंड के ग्लासगो में वार्ता में बुधवार को जारी मसौदे में ‘‘कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने और जीवाश्म ईंधन के लिए सब्सिडी देने’’ की प्रक्रिया में तेजी लाने का आह्वान किया गया। हालांकि, इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गयी है।
ग्रीनपीस इंटरनेशनल की निदेशक जेनिफर मोर्गन ने कहा कि मसौदे में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और जीवाश्म ईंधनों के लिए सब्सिडी देने के आह्वान को संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते में प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन इसमें समयसीमा तय नहीं की गयी है जिससे इस संकल्प का प्रभाव