बताने की जरूरत नहीं कि आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण इस साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण होगा। इस दिन सूर्यदेव की शक्ति अपने श्रेष्ठ पर होगी। ज्योतिषविदों का मानना है कि यह सूर्यग्रहण महामारी को समापन की ओर ले जाएगा और कन्या, मिथुन एवं मीन राशि के लिए लाभप्रद होगा।

ज्योतिषविदों के अनुसार ऐसा ग्रहण 1090 वर्ष बाद पड़ रहा है। सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में आएगा। जिसका सूतक काल 20 जून की रात्रि 10: 09 बजे से आरंभ हो जाएगा। ग्रहण का प्रारंभ 21 जून की प्रातः 10:09 से होगा एवं ग्रहण का मोक्ष 1:48 दोपहर को हो जाएगा। ग्रहण की अवधि में पूजन और भोजन वर्जित है। ग्रहण संपूर्ण भारत व अफ्रीका तथा यूरोप के कुछ देशों में दिखाई देगा। इस दिन सूर्योदय सबसे जल्दी और सूर्यास्त देरी से होगा। ज्योतिषविद बताते हैं कि बुध, गुरु, शुक्र, शनि तथा राहु एवं केतु के वक्री होने के कारण सूर्य स्वयं कर्क में उपस्थित होंगे। ग्रहण के ठीक पांच दिन बाद मेघा नक्षत्र में समुद्री तूफान के योग हैं। ग्रहण काल में श्री आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ, श्री विष्णु पुराण का पाठ अथवा सूर्य नारायण के बीज मंत्र का पाठ करें। अनाज तथा फल अनार का दान विशेष रूप से हितकर होगा।

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