17 करोड की बचत का अनुमान
दिनेश कुमार
संसद की कैंटीन में खानपान की व्यवस्था संभालने वाली संस्था रेलवे की आईआरसीटीसी को हटाने और उसकी जगह यह ज़िम्मेदारी अब निजी क्षेत्र को सौंपे जाने पर विचार हो रहा है। इसके लिए निजी ब्रांड बीकानेरवाला और हल्दीराम के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। मतलब अब संसद की कैंटीन में पूरी तरह शाकाहारी व्यंजन ही परोसे जायेंगे। हालांकि सरकारी क्षेत्र की आईटीडीसी भी इस दौड़ में शामिल है लेकिन समझा जाता है कि अंतिम फ़ैसला बीकानेरवाला या हल्दीराम में से किसी एक के पक्ष में होगा।
दरअसल अब तक यह व्यवस्था संभाल रही आईआरसीटीसी, जो भोजन संसद की कैंटीन में परोस रही था, उसकी गुणवत्ता पर काफ़ी समय से अंगुलियां उठ रही थीं तथा इसके लिए दी जाने वाली सब्सिडी पर भी चिंता व्यक्त की जा रही थी। इसी वजह से पिछले कुछ महीनों से कैटरर बदलने की मांग होने लगी थी। इस संबंध में निर्णय संसदीय फ़ूड पैनल की अनुपस्थिति में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला करेंगे।
लेकिन यदि कैटरिंग की ज़िम्मेदारी हल्दीराम या बीकानेरवाला को सौंपी गयी तो इसका मतलब यह होगा कि संसद कैंटीन के मेन्यू से बिरयानी, चिकेन कटलेट, फ़िश आदि सभी मांसाहारी व्यंजन नदारद हो जायेंगे क्योंकि ये दोनों चेन रेस्तरां चलाने वाली कंपनियाँ शाकाहारी भोजन ही उपलब्ध कराती हैं।
सूत्रों के अनुसार अभी इस बारे में औपचारिक निर्णय लिया जाना बाक़ी है लेकिन यह परिवर्तन इसलिए तय माना जा रहा है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ृला कई मौकों पर संसद कैंटीन के भोजन की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर देते रहे हैं।
ग़ौरतलब है कि अभी यह व्यवस्था देख रही सरकारी क्षेत्र की कंपनी आईआरसीटीसी को सब्सिडी के तौर पर भारी भरकम धनराशि उपलब्ध करायी जाती है। उम्मीद है कि सब्सिडी बंद कर अब निजी क्षेत्र को no profit no loss के आधार पर यह कार्य सौंपे जाने पर तक़रीबन 17 करोड़ रुपए की सालाना बचत का अनुमान है।