विशेष संवाददाता
सीएए, एनसीआर और एनपीआर के विरोध के नाम पर शाहीन बाग मे चल रहा प्रदर्शन दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एक साजिश है। क्योंकि संसद मे कई बार इन कानूनों को लेकर गृह मंत्री की ओर से स्पष्टीकरण दिया जा चुका है। लेकिन महिलाओं और बच्चों को आगे रख कर दिया जा रहा धरना चाह रहा है कि कुछ अघटित घटे। इस जिद के सम्मुख दिल्ली और केन्द्र सरकार क्यों घुटने टेके हुए है, यह समझ से परे है। पुलिस- प्रशासन ऊपरी आदेश बिना कुछ नहीं कर सकता और सुप्रीम कोर्ट ने भी बजाय कडा रुख अपनाने के, दो वार्ताकार नियुक्त कर दिए हैं जो अभी तक नाकाम रहे हैं ।
सीएम केजरीवाल की चुप्पी समझ मे आती है। उनका मुस्लिम विधायक शाहीन बाग से 73 हजार मतों के रेकार्ड अंतर से जीता है। मगर पीएम नरेन्द्र मोदी की खामोशी से ताज्जुब है। सेर को सवा सेर से जवाब देने में माहिर पीएम शाहीन बाग के आगे क्यों झुके हुए हैं ? उनके समर्थकों मे इसको लेकर काफी क्षोभ है। उनके एक समर्थक ने नेशन टुडे से गुस्से में भर कर कहा कि धरने की अगुवाई कर रही तथाकथित दादियों को समझाने बुझाने की नहीं उन पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। सीएम कह चुके हैं कि कोरोना वायरस को देखते हुए 20 से ज्यादा लोग यदि एकत्र हुए तो उनको गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस के हाथ खुल खुल चुके है इस आदेश से। फिर क्यो चुप्पी है , का चुप साध रहे बलवाना ? उस समर्थक का यह भी कहना था कि महिला पुलिस क्यों नहीं शाहीन बाग की दादियों को जबरदस्ती उठा कर बंद कर देती ?
कहा जा रहा है कि शाहीनबाग के प्रदर्शनकारियों ने भी जनता कर्फ्यू को समर्थन देने का ऐलान किया है। लेकिन रविवार को जब मंच पर दबंग दादियां होगी तो फिर यह कैसा समर्थन? इस बाबत शुक्रवार को प्रदर्शनस्थल पर बैठक हुई। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों के विरोध करने पर निर्णय लिया गया कि रविवार को केवल चार दबंग दादियां मंच पर बैठेंगी। बाकी लोग प्रदर्शनस्थल से दूरी बनाए रखेंगे।
शाम 5 बजे पतंग उड़ाकर कोरोना की लड़ाई में शामिल डॉक्टरों, पुलिसकर्मियां और अन्य अधिकारियों को धन्यवाद दिया जाएगा। पतंगों पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में नारे लिखे जाएंगे। रात 9 बजे बाद सभी लोग प्रदर्शनस्थल पर लौट आएंगे।
शुक्रवार को फिर वार्ताकार समझाने पहुंचे
शुक्रवार शाम अचानक उच्चतम न्यायालय द्वारा शाहीनबाग की रोड खुलवाने के मामले में नियुक्त वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन प्रदर्शनस्थल पर पहुंचे। उन्होंने लोगों को कोरोना वायरस के मद्देनजर सावधानी बरतने की सलाह दी। संजय हेगड़े ने कहा कि हमें सर्वोच्च न्यायालय ने भेजा है। हमें न्यायालय को प्रदर्शनस्थल की वर्तमान स्थिति के बारे में अवगत कराना है। साधना ने प्रदर्शनकारियों से हाथ और मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखने की अपील की। प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकारों को आश्वस्त किया कि वे कोरोना के मद्देनजर पूरी सावधानी बरत रहे हैं।
23 मार्च को क्या सुप्रीम कोर्ट कोई कडा आदेश देगा ?
रोड खुलवाने की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय 23 मार्च को सुनवाई करेगा। इस दिन सड़क को बंद हुए 100 दिन पूरे हो जाएंगे। रोड बंद होने से यहां से गुजरने वाले सात लाख लोग परेशान हैं। इन लोगों के लिए यूपी,दिल्ली हरियाणा की दूरी लंबी हो गई है। लोग आधे से दो घंटे तक मदनपुर खादर, आश्रम चौक पर जाम में फंस रहे हैं। क्या सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस अवैध धरने के खिलाफ कोई कडा आदेश पारित करेगा ?
कारोबार की चिंता
शाहीनबाग के प्रदर्शन के चलते उसके आसपास स्थित 150 दुकानें बंद हैं। अब च के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए भी रुपये नहीं हैं। सर्दियों के सीजन में दुकान बंद होने से उनका कारोबार चौपट हो गया। प्रदर्शन और कोरोना के चलते दुकानदारों को आगे भी कोई उम्मीद नहीं है। प्रत्येक दुकानदार को रोजाना 50 हजार से 1 लाख तक का नुकसान हो रहा है।