विशेष संवाददाता
कौन कहता है कि आर्थिक मंदी है और लोगों के पास धन का अभाव है। लॉक डाउन (lock down )थोड़ा सा क्या उठाया, अराजक नजारे आ गए। शराब की दुकानें खुलीं और लोग टूट पडे कुल्ला करने के लिए। किसी की मदद को पैसे नहीं है पर सुरूर चढ़ाने के लिए पैसे आ गए और धूप में लाइन लगाने की ताकत भी।
पूरे देश ने स्तब्धकारी नजारा देखा। क्या देशी और क्या विदेशी, दोनों तरह की दुकानें खुलने के पहले ही सुरा प्रेमियों की भीड़ से पट गयीं।
देश के हर कोने से यही खबर और नजारे आने लगे। इतनी देर के बाद पुलिस को याद आया कि उसका काम इन्हें हटाना भी है। सो उसने दुकानें बंद करा दीं। दिल्ली के भजनपुरा में तो एक दुकान के बाहर तीन किलोमीटर लंबी लाइन लग गई। वाराणसी में भी ठेके वाली शराब पर अपना ब्रांड लेने शराबी जम गए तो अंग्रेजी वाले कहाँ पीछे रहने वाले थे। एक महिला भी दिखी। राजस्व की चाहत में ऐसा होने की आशंका तो थी ही।
डेढ़ महीनों से बिना शराब के जी रहे लोग इतने बेताब दिखे कि सुबह से ही ठेकों के बाहर लंबी-लंबी लाइन लग गई। देशभर में केंद्र सरकार (Central Government) की अनुमति से दुकानें खोली जा रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने साफ निर्देश दिए हैं कि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) का पूरा ख्याल रखा जाए। कई जगहों पर तो दुकानें खुलने से दो घंटे पहले ही लोग लाइन में खड़े हो गए और अपनी बारी का इंतजार करने लगे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए दुकानों के बाहर बैरिकेड्स लगाए गए हैं और लोगों के दूर-दूर खड़े होने के लिए पेंट से निशाना भी बनाए गए हैं। लेकिन इसका पालन कितना हुआ, यह दुकानों को बंद करने से पता चल गया।
कर्नाटक में पूजा भी हुई
कर्नाटक में शराब की दुकानें खुलने से एक दिन पहले ही बाकायदा नारियल चढ़ाकर पूजा की गई। बांगरपेट इलाके में एक व्यक्ति ने नारियल लेकर शराब की दुकान के बाहर पूजा की। कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में शराब लेने उमड़ी भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग ही भूल बैठी। लोगों को एकदम पास-पास खड़े देखा गया। तमाम निर्देशों को बावजूद न तो दुकान के बाहर न कोई मार्किंग दिखाई दी, न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखे।