दिनेश कुमार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल मंगलवार को अपने एक ट्वीट में सोशल मीडिया छोड़ने पर विचार करने का संकेत देकर जहां एक ओर पूरे देश को चौंका दिया वहीं अब उनके इस इरादे के निहितार्थ तलाशने का दौर भी शुरू हो गया है।
छोटा ब्रेक लेकर डीटाक्सिन (Detoxin) होना चाहते हैं!
इस दिशा में दो तरह की चर्चाएं ज़्यादा सरगर्म हैं। प्रधानमंत्री के हर कदम और फ़ैसले पर करीबी नज़र रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों के एक तबके का यह मानना है कि हो सकता है प्रधानमंत्री एक छोटे अंतराल के लिए सोशल मीडिया से ब्रेक लेकर डीटाक्सिन ( Detoxin ) होना चाहते हों। इन राजनीतिक पंडितों के मुताबिक यह भी हो सकता है कि पिछले दिनों सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफ़ार्म पर झूठी ख़बरों ( fake news ) और अफ़वाहों के ज़हर से देश भर में बड़े पैमाने पर फैलायी गयी नफ़रत और हिंसा से क्षुब्ध और आहत होकर प्रधानमंत्री यह कदम उठाने के बारे में विचार बना रहे हों। कुछ समय के लिए ब्रेक लेकर इस ज़हर के असर से मुक्त होने भी उन्हें काफ़ी सहूलियत होगी। दरअसल सोशल मीडिया की दुनिया में डीटाक्सिन प्रक्रिया का मकसद भी यही है।
कुछ ‘नया’ और ‘बड़ा’ तो नहीं करने वाले मोदी!
राजनीतिक विश्लेषकों का एक और तबका भी है जो यह मानता है कि प्रधानमंत्री हार मानने वालों में से नहीं हैं और सोशल मीडिया छोड़ने का संकेत देकर वह कुछ ‘नया’ और ‘बड़ा’ करना चाहते हों। दरअसल भारत में सक्रिय सोशल मीडिया के सभी प्लेटफ़ार्म विदेशी कंपनियां संचालित करती हैं और यह भारत सरकार के नियम कायदों को हमेशा से अंगूठा दिखाती रही हैं।
स्वदेशी सर्च इंजन विकसित कर सकता है भारत
प्रधानमंत्री के कल के ट्वीट का यह भी अर्थ निकाला जा रहा है कि विदेशी कंपनियों की मनमानी और अराजक रवैये से निबटने के लिए भारत गूगल के जवाब में अपना स्वदेशी सर्च इंजन और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म विकसित करने के बारे में कोई बड़ा निर्णय लेने वाला हो। आने वाले इतवार को संभव है प्रधानमंत्री मोदी इसी दिशा में कोई महत्वपूर्ण घोषणा करना चाहते हों।
ध्यान रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल एक ट्वीट कर इस बात के संकेत दिये थे कि वे सोशल मीडिया से दूर रहने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने इस बारे में जानकारी देते रहने की बात कहते हुए यह भी बताया था कि आने वाले रविवार को वह इस संबंध में कोई निर्णय ले सकते हैं।
प्रधानमंत्री के इस ट्वीट से सियासी हलकों और सोशल मीडिया से जुड़ी दुनिया में लोग हैरान रह गये और इसे लेकर व्यापक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। समझा जा रहा है कि झूठी ख़बरें और अफ़वाहें फैला कर देश को अस्थिर और सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने में सोशल मीडिया के दुरुपयोग से आहत होकर ही प्रधानमंत्री सोशल मीडिया से दूर रहने का निर्णय लेने की बात सोच रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोशल मीडिया में दुनिया भर में सर्वाधिक लोकप्रिय हस्तियों में शुमार हैं। प्रधानमंत्री के ट्विटर पर 5 करोड़ 33 लाख, फ़ेसबुक पर 4 करोड़ 47 लाख और इंस्टाग्राम पर 3 करोड़ 52 लाख फ़ालोअर हैं। यूट्यूब पर उनके फ़ालोअरों की संख्या साढ़े चार करोड़ से ज़्यादा है।
सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू
इस बीच सोशल मीडिया छोड़ने के पीएम मोदी के संकेत को लेकर सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। एक तरफ़ जहां प्रधानमंत्री के समर्थक उनसे ऐसा नहीं करने का अनुरोध कर रहे हैं तो वहीं विरोधियों ने चुटकियां लेना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में कांग्रेस के राहुल गांधी ने तंज कसते हुए ट्वीट किया कि ‘प्रधानमंत्री सोशल मीडिया नहीं, छोड़ना है तो नफ़रत छोड़ें’।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी ट्विटर के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा कि अचानक सोशल मीडिया छोड़ने के प्रधानमंत्री के एलान ने लोगों को चिंतित कर दिया है कि क्या यह पूरे देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की कवायद तो नहीं।
समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव भी कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने प्रधानमंत्री को सलाह देते हुए कहा कि, ‘सोशल मीडिया ही नहीं….साहब छोड़ने के लिए तो और भी बहुत कुछ है जैसे….’।