पदम पति शर्मा
सचमुच राजनीति के अपराधीकरण का सबसे शर्मनाक चेहरा है विकास दुबे। बीते 25 साल के दौरान यह दुर्दान्त अपराधी प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ की ही बदौलत उस मुकाम तक पहुंचा जहाँ वह पुलिस से फरियाद करने वालों के पुलिस की मौजूदगी में खुद फैसले लिया करता था। लगभग 200 पुलिसकर्मी उसके पे रोल पर यूँ ही नहीं थे। बसपा हो या सपा अथवा भाजपा इस दृष्टि से हमाम में तीनों नंगे हैं।
पंचायत चुनाव के दौरान उसे बसपा से समर्थन मिला, जबकि उसकी पत्नी को सपा का समर्थन मिला था। उसकी पत्नी ऋचा दुबे ने तो सपा की आजीवन सदस्यता ग्रहण कर रखी है।
बसपा सरकार के दौरान ही विकास दुबे ने बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में अपना रसूख कायम किया था। इस दौरान शातिर अपराधी विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे भी किए। जेल में बंद रहते हुए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने शिवराजपुर से नगर पंचयात चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।
मोस्टवांटेड विकास दुबे का 2006 का वीडियो सामने आया है। वीडियो में विकास दुबे कहता है कि उसे सियासत में लाने का श्रेय पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिकिशन श्रीवास्तव का है और वही मेरे राजनीतिक गुरु हैं। विकास दुबे वीडियो में कहता है, ‘मैं अपराधी नहीं हूं, मेरी जंग राजनीतिक वर्चस्व की जंग है और ये मरते दम तक जारी रहेगी।’ यह कहीँ से भी सच नहीं था।
हरिकिशन श्रीवास्तव कानपुर के चौबेपुर विधानसभा सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं। वह बसपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे । हालांकि, पहली बार विधायक जनता पार्टी से बने और बाद में जनता दल और फिर उन्होने बसपा का दामन थामा था। . हरिकिशन श्रीवास्तव दिग्गज नेता माने जाते थे और विकास दुबे उनके करीबी समर्थकों में से एक था।
1996 में कानपुर की चौबेपुर विधानसभा सीट से हरिकिशन श्रीवास्तव बसपा से चुनाव लड़े। उनके खिलाफ बीजेपी से तत्कालीन जिला अध्यक्ष संतोष शुक्ला खड़े हुए थे। इस चुनाव में हरिकिशन ने जीत दर्ज की। हालांकि राजनाथ सिंह साल 2000 में जब यूपी के सीएम बने तो उन्होंने संतोष शुक्ला को दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बनाया, लेकिन सियासी रंजिश में 11 नवंबर 2001 को कानपुर के थाना शिवली के अंदर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। संतोष शुक्ला की हत्या विकास दुबे ने थाने में की, लेकिन वह कोर्ट से बरी हो गया। इसके पीछे मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार का हाथ था। आप सोचिए कि थाने मे हत्या हो और उस समय मौजूद रहे सभी 17 पुलिसकर्मी अदालत में गवाही के दौरान मुकर जाएँ, ऐसा सरकारी संरक्षण के बिना असंभव था। 2002 से 2007 तक सपा की सरकार थी और संतोष शुक्ला के हत्यारे विकास दुबे के खिलाफ हाई कोर्ट मे अपील तक नहीं की गयी, राजनीति के अपराधीकरण का यह लज्जास्पद नमूना था ।
गैंगस्टर विकास दुबे का साल 2017 का वीडियो भी सामने आया है. इस वीडियो में 2017 में हुई एक हत्या के संबंध में एसटीएफ द्वारा उससे पूछताछ की जा रही रही है. इसमें विकास दुबे ने बताया कि कैसे एक हत्या में उसका नाम कथित रूप से डाला गया था, जिसे निकलवाने में कुछ नेता उसकी मदद कर रहे थे। इस वीडियो में विकास दुबे ने बिल्हौर से बीजेपी विधायक भगवती प्रसाद सागर और बिठूर से बीजेपी विधायक अभिजीत सांगा के नाम का जिक्र किया। इसके अलावा विकास ने ब्लॉक प्रमुख राजेश कमल, जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डन कटियार के नाम भी लिए थे। विकास ने कहा कि इन नेताओं से उसके राजनीतिक संबंध है।
बीजेपी के दोनो विधायक दलबदलू हैं
हालांकि, बीजेपी के दोनों विधायकों ने विकास दुबे के साथ अपने संबंध होने से इनकार किया है। अभिजीत सांगा पहले कांग्रेस में थे और फिलहाल बीजेपी से विधायक हैं। वहीं, भगवती प्रसाद सागर बीएसपी से बीजेपी में आए हैं। बिल्हौर विधानसभा से विधायक भगवती प्रसाद सागर 2017 में ही बीजेपी में शामिल हुए थे. वहीं अभिजीत सांगा भी 2017 में ही बीजेपी में आए और बिठुर से विधायक बने हैं।
भाजपा ने 2017 मे अपराधियों से मुक्ति पाने का सुनहरा मौका गंवा दिया
2017 के यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान अपराधियों से मुक्ति पाने का भाजपा को एक सुनहरा अवसर मिला था। लेकिन उसने गंवा दिया। स्वयं मैने प्रधानमंत्री मोदी जी को उनके एक अत्यंत करीबी शख्स के माध्यम से पहुंचाए गये पत्र में उनसे आग्रह किया था कि लोग किसी प्रत्याशी को नहीं सिर्फ मोदी को वोट देंगे। क्योंकि देश आपके पीछे है आपके साथ है। आप दल के सुयोग्य, कर्मठ और संघ से दीक्षित ऐसे प्रत्याशियों का चयन करें जिनकी स्लेट कोरी हो। लेकिन या तो अविश्वास अथवा पार्टी का दबाव, ऐसा नहीं हो सका। उलटे मोदी जी ने पत्रवाहक से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आगे से ऐसे पत्र हमें न दिया करें। उस दिन के बाद से मैने मोदी जी को कभी पत्र नहीं लिखा। हाँ यह जरूर है कि चाहे मोदी जी हों अथवा योगी जी, दोनो के देश के प्रति समर्पण, त्याग, निष्ठा और ईमानदारी का मै हमेशा से कायल हूँ और रहूँगा।