उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट ( hitm) को क्वारैंटीन सेंटर तो बनाया गया है लेकिन यहां संक्रमण के डर से पीपीई किट पहनकर सरकारी कर्मचारी पानी की बोतल, बिस्किट लोगों को फेंक कर दे रहे हैं। यहां क्वारैंटीन किए गए व्यक्ति चैनल गेट ( channal gate)के भीतर से हाथ बाहर निकालकर खाने पीने की चीजों पर टूट पड़ रहे हैं। सामाजिक दूरी का पालन टूट गया। डीएम ( dm)प्रभु नारायण सिंह ने इसका वीडियो सामने आने पर जांच के निर्देश दिए हैं।
नोडल अधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि, जांच में प्राथमिक तौर पर दोषी पाए गए बीडीओ ( bdo) मनीष को सस्पेंड करने का निर्देश दिया गया है।
क्वारंटीन सेंटर बना आगरा-मथुरा रोड पर स्थित हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट संस्थान में 600 लोगों को रखने की जगह है। अभी यहां दो सौ लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है। लेकिन जिस तरीके से लोगों के रहने, खाने व पीने का इंतजाम होना चाहिए, वह नहीं है। सोमवार को इस सेंटर का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया तो हड़कंप मच गया। इसमें पीपीई किट (ppe kit )पहनकर सरकारी कर्मचारी क्वारैंटाइन किए गए लोगों को पानी की बोतल और चाय दूर से दे रहे थे। दरवाजा बंद था और लोग सामान लेने के लिए एक दूसरे पर टूट पड़ रहे थे। ऐसे में एक मीटर की शारीरिक दूरी का पालन नहीं किया जा रहा था। यहां भर्ती एक व्यक्ति ने बताया कि बेडशीट( bedsheet) को दो दिन से नहीं बदला गया है। शौचालय गंदे पड़े हुए हैं और खाने की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। खाना दूर से दिया जा रहा है। परिसर में सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है और हर दिन सेनिटाइजेशन भी नहीं हो रहा है।
जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने बताया कि, कोविड-19 के शीर्ष अधिकारियों को मामले की जांच सौंपी गई है। जिम्मेदार पर कार्रवाई के लिए कहा गया है। क्वारैंटाइन सेंटर में व्यवस्थाएं बढ़ाने के साथ ही भोजन वितरण कराने का निर्देश दिया गया है।
क्वारैंटाइन सेंटर में धरने पर बैठे 41 लोग
ताजनगरी में स्थित क्वारैंटाइन सेंटर में बदइंजामी का सिलसिला थम नहीं रहा है। यहां अग्रवन में बनाए गए क्वारैंटाइन सेंटर में 41 लोग धरने पर बैठ गए हैं। पानी लेने से भी इनकार कर दिया है। लोगों का आरोप है कि 14 दिन क्वारैंटीन समय पूरा हो चुका है। अब तक यहां रहते हुए 16 दिन बीत चुके हैं। जांच तक नहीं कराई गई है। एसीएम द्वितीय वीके गुप्ता लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन धरना देने वाले अड़े रहे।