बढ़ते तापमान से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अगर तापमान 33 से 35 डिग्री और पछुआ हवा चलती रहेगी तो अगेती फसल पर 25 से 30 प्रतिशत पछेती पर 50 प्रतिशत तक असर पड़ेगा।
कृषि उप निदेशक शोध कार्यालय के वरिष्ठ प्राविधिक ओमकारनाथ तिवारी ने बताया कि जो तापमान मार्च के अंत में होना चाहिए वह मार्च के शुरुआती दिनों में है। पिछले दस साल में ऐसा मौसम पहली बार हुआ है। इसका सीधा असर फसलों के उत्पादन पर पड़ेगा। जिस प्रकार तेज पछुआ हवा चल रही है ऐसे में किसान सिंचाई भी नहीं कर सकते। इसका असर अनाज के दाने की मोटाई, चमक और उत्पादन पर पडे़गा।
दिन भर चलीं नम हवाएं, तीन डिग्री गिरा पारा
सोमवार की तुलना में मंगलवार को दिन भर नम हवाएं चलती रहीं। दिन में पछुआ हवा चलने से धूप का असर कम रहा। सिहरन जैसा अहसास होता रहा। शाम को भी मौसम बदला रहा। यही कारण रहा कि तापमान में भी तीन डिग्री सेल्सियस की कमी दर्ज की गई। सोमवार को अधिकतम 34.0 डिग्री की तुलना में 31 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 17.5 डिग्री की जगह 14.9 डिग्री सेलिसयस रिकार्ड किया गया। मौसम वैज्ञानिक एसएन पांडेय ने बताया कि जम्मू कश्मीर में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता की वजह से मौसम में बदलाव हुआ है। तीन-चार दिनों तक ऐसे ही नम हवाएं चलने की संभावना है.