वाशिंगटन (एजेंसी)। अमेरिका ने लोकतंत्र पर एक सम्‍मेलन आयोजित किया है। ये सम्‍मेलन वर्चुअल होना है जिसमें विश्‍व के करीब 110 देशों को शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है। ये सम्‍मेलन 9-10 दिसंबर को होना है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय से इस सम्‍मेलन में आमंत्रित किए गए सदस्‍य देशों की सूची के मुताबिक इसकी सबसे खास बात ये है कि इसमें चीन और तुर्की को आमंत्रित नहीं किया गया है। बता दें कि तुर्की नाटो संगठन का सदस्‍य देश है।

ताइवान बतौर अलग देश आमंत्रित

वहीं दूसरे नाटो सदस्‍य देशों को इस सम्‍मेलन में शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस सम्‍मेलन की एक खास बात ये भी है कि इसमें अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने ताइवान को बिल्‍कुल अलग देश की तरह शामिल होने का न्‍योता दिया है। बता दें कि अमेरिकी और ताइवान के बीच बढ़ती करीबी से चीन न सिर्फ तनाव में है बल्कि चिढ़ा भी हुआ है। ताइवान के साथ अमेरिका का रक्षा सहयोग भी है।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि कुछ ही दिन पहले चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग और जो बाइडन के बीच वर्चुअल मीटिंग हुई थी। इस बैठक का मकसद दोनों देशों के रिश्‍तों में आई तल्ख्यिों को कम करना था। लेकिन इस सम्‍मेलन में चीन को न बुलाने का अर्थ सीधेतौर पर यही है कि इस बैठक से संबंधों में सुधार की कोई राह नहीं निकल सकी है। यही वजह है कि अमेरिका ने इसमें चीन को शामिल नहीं किया है।

गौरतलब है कि चीन और तुर्की उन देशों में शामिल है जिसको रूस ने अपने एस-400 मिसाइल सिस्‍टम को देने के लिए समझौता किया हुआ है। चीन को रूस इस मिसाइल सिस्‍टम की डिलीवरी दे भी चुका है जबकि तुर्की पर इस समझौते को रद करने का अमेरिका लगातार दबाव बनाए हुए है। हालांकि भारत का भी इस मिसाइल को लेकर समझौता है और अगले माह इसकी डिलीवरी भी हो जाएगी, इसके बावजूद भारत को भी इस सम्‍मेलन में शामिल किया गया है।

चीन को इस सम्‍मेलन में शामिल न करने की एक दूसरी वजह दक्षिण चीन सागर पर तनाव भी है। इस मुद्दे पर दोनों देश कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। इसके अलावा शिनजियांग प्रांत में उइगरों पर अत्‍याचार, हांगकांग और ताइवान से चीन का तनाव भी है।

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