भारत-चीन एलएसी मुद्दे पर कुछ टिप्पणी करके पद की शपथ का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए केंद्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस ने कहा, अगर उन्होंने कुछ किया है तो यह प्रधानमंत्री को देखना है। इसमें अदालत कोई आदेश नहीं दे सकती।’

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एक वैज्ञानिक हैं, उन्हें किसी समाधान में अपना ध्यान लगाना चाहिए। कथित तौर पर भारत चीन एलएसी मुद्दे पर कुछ अवांछनीय टिप्पणी करने पर केंद्रीय मंत्री, जनरल (सेवानिवृत) वीके सिंह द्वारा शपथ के कथित उल्लंघन की घोषणा के निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। पेशे से सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और एक्टिविस्ट चंद्रशेखरन रामासामी ने यह याचिका दायर की थी।

जनरल ( सेवानिवृत) वीके सिंह वर्तमान में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री हैं। वह पूर्व में भारतीय सेना प्रमुख भी थे।

याचिका वीके सिंह द्वारा 7 फरवरी 2021 को मदुरै, (तमिलनाडु) में भारत के एलएसी मुद्दे पर एक भाषण पर केंद्रित है, जिसमें सिंह ने कहा था कि आप में से किसी को भी यह नहीं पता है कि हमने अपनी धारणा के अनुसार कितनी बार LAC का उल्लंघन किया है। हम इसकी घोषणा नहीं करते। चीनी मीडिया इसे कवर नहीं करता है। सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि आपको आश्वस्त करता हूं, यदि चीन ने 10 बार उल्लंघन किया है, तो हमें अपनी धारणा के अनुसार इसे कम से कम 50 बार करना चाहिए।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि उक्त भाषण घृणा, अवमानना ​​या वैमनस्य के उद्देश्य से दिया गया और यह भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति वैमनस्य को उत्तेजित करने का एक प्रयास था। इसलिए यह भारत की एकता और अखंडता पर हमला था और इस प्रकार उन्होंने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त टिप्पणी भारत सरकार द्वारा लिए गए आधिकारिक रुख से भी अलग है। दलीलों में यह भी कहा गया है कि उक्त भाषण दिए जाने के बाद, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसे भारतीय पक्ष द्वारा अनजानी स्वीकारोक्ति करार दिया था। याचिकाकर्ता द्वारा यह भी कहा गया है कि वीके सिंह की बिना सोचे-समझे टिप्पणियों ने चीन को “राजनीतिक, राजनयिक और रणनीतिक क्षेत्रों में उग्र” होने का एक “सुनहरा अवसर” दिया है।

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