नई दिल्ली। डायबिटीज का इलाज तलाशने में जुटे वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने अल्ट्रासाउंड की मदद से टाइप-2 डायबिटीज को काबू कर लिया है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस इलाज में न तो दवाइयों की जरूरत पड़ी और न ही इंजेक्शन की। इस दौरान एक खास जगह पर लिवर में अल्ट्रासाउंड किरणें छोड़ी गईं, जिससे शरीर में इंसुलिन, ग्लूकोज़ का लेवल काफी कम हो गया। हालांकि अभी ये तकनीक परीक्षण के स्तर पर है। जानवरों की तीन कैटेगिरी पर इसके प्रयोग के उत्साहजनक नतीजे आए हैं। अब इंसानों पर इसके प्रयोग की तैयारी चल रही है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगर ये तकनीक कामयाब रही तो आने वाले समय में ऐसे छोटे उपकरण बनाए जा सकेंगे, जिनसे लोग घर पर ही डायबिटीज का इलाज कर पाएंगे।

अमेरिका में जीई रिसर्च की एक टीम ने इस प्रयोग को अंजाम दिया है। इस टीम में येल स्कूल ऑफ मेडिसिन और फेंस्टीन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। इस बारे में जर्नल नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में लेख लिखकर जानकारी दी गई है। इस तकनीक को पेरिफेरल फोकस्ड अल्ट्रासाउंड स्टिमुलेशन नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों की टीम ने प्रयोगों के दौरान देखा कि अल्ट्रासाउंड की किरणों के जरिए लिवर के अंदर संवेदना पैदा करने वाली तंत्रिकाओं को उत्तेजित किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने नेचर मैगजीन को बताया कि हमने लिवर के porta hepatis नाम के हिस्से पर फोकस किया। यहां पर रीढ़ से आने वाली तंत्रिकाओं का जाल होता है। यही हमारे दिमाग को सूचनाएं भेजती हैं कि शरीर में ग्लूकोज और न्यूट्रिएंट (पोषक तत्वों) का स्तर क्या है। इनके बारे में जानना मुश्किल होता है क्योंकि ये बेहद छोटी होती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रयोग के दौरान हमने लिवर के इस हिस्से में अल्ट्रासाउंड किरणें छोड़ी। इससे हाई ब्लड शुगर को फिर से नॉर्मल करने में कामयाबी मिली। उन्होंने बताया कि अभी तक चूहों और सूअरों में इस तकनीक का सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा चुका है। इस प्रयोग के दौरान महज 3 मिनट के लिए अल्ट्रासाउंड किरणें छोड़ी गई थीं, जिसने जानवरों में डायबिटीज का स्तर सामान्य कर दिया। अब इसके इंसानों पर प्रयोग की तैयारी की जा रही है

वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई कि अगर ये तकनीक इंसानों पर भी कामयाब रही तो एक बड़ी बीमारी से छुटकारा पाने की उम्मीद जगेगी। भविष्य में ऐसे छोटे उपकरण बनाए जा सकेंगे, जिसे लोग घर पर इस्तेमाल कर सकेंगे, और रोजाना महज कुछ मिनट के इस्तेमाल से डायबिटीज को काबू किया जा सकेगा। इसके लिए उन्हें न कोई दवाई खानी पड़ेगी और न ही इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ेंगे। यह तकनीक डायबिटीज के इलाज में गेमचेंजर साबित होगी।