डाक्टर रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, वाराणसी
उत्तर प्रदेश
मौजूदा हिंदुस्तान का कारवां सबसे पहले 1947 में लुटा जब भारत टुकड़ों टुकड़ों में विभाजित हो गया। फिर दूसरी बार 1962 में जब हिंदी चीनी भाई भाई के नशे में धुत 80 वर्ग मील भूभाग पर चीन का कब्जा हो गया जो आज भी है।मानसरोवर कैलाश हमारी आस्थाओं का प्रतीक है उसे हमसे बलात छीन लिया गया। मित्र राष्ट्र तिब्बत पर भी दुश्मन देश का कब्जा हो गया। फिर भी हम सब कुछ चुपचाप झेलते रहे। और प्रतिवर्ष चाइना से करोड़ों रुपयों का आयात करते हुए उसे मालामाल करते रहे और शायद आगे भी करें। हमारी संस्कृति में सांप के दांत नहीं तोड़े जाते। लेकिन नागपंचमी पर उसे भरपेट दूध पिलाया जाता है और वर्तमान में विजनरी बौनी मानसिकता के लोग, जिन्हें हम अपना भाग्य विधाता नेता कहते थे, वे इस सांप को इतना दूध पिला रहे थे कि वह सांपों की सबसे बड़ी प्रजाति यानी कि पाइथन बन गया है और अपने मित्र राष्ट्रों को छोड़ पूरी दुनिया को अपने मृत्युपाश में जकड़ रहा है।
फिर कारवां 1957 मे लुटा धारा 370 और 35a के रूप में कॉन्स्टिट्यूशनल फ्रॉड के कारण आतंकवाद के रूप में। यही नही 1977 मे इमर्जेंसी में कारवां लुटा। 1984 मे सिखों के नरसंहार में कारवां लूटने के बाद 2004 से 2014 तक परिवारवाद के घोटालों के तौर पर लुटा कारवाई।
अरे अब तो चेत जाओ।
सवाल यह नहीं है कि आज वुहान चाइना कोरोनावायरस द्वारा पूरे विश्व के साथ हमको भी संक्रमित कर रहा है।सवाल तो यह इस बात का है कि यह कारवां हमारे देश की सीमा के अंदर घुसा कैसे? छुपे हुए गद्दारों द्वारा भारत माता को दिए हजार घाव के बावजूद हम क्यों नहीं चेते? क्यों हमने पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और पूर्वोत्तर भारत की सीमाओं पर सख्ती नहीं बरती?
क्यों हम चाइना से इंपोर्ट करते हैं?
यह तो प्रस्तावना थी.अगली पोस्ट में आपको बताऊंगा कि यह कारवां क्यों कहां कैसे किस तरह गुजर रहा है। मै बताऊंगा वे कौन हैं जो चीन के साथ दुरभि संधि से भारत की पीठ मे छुरा घोंप रहे हैं ? अभी इस कारवा के कारण जो गुबार उठना शुरू हुआ है उसकी क्या विवेचना होगी यह मैं आपको उन पोस्ट्स में बताऊंगा।
जिस तरह सतयुग में मां काली, त्रेता युग में भगवान राम और द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने भारत की रक्षा की थी, लगता है कि कलयुग का देव अवतार हो चुका है । कृतज्ञ राष्ट्र भाई नरेंद्र मोदी का नमन करता है और आशा करता है कि देश के वर्तमान और भविष्य में उनके द्वारा उठाए गए दूरदर्शी सार्थक प्रयास से हम सब सुरक्षित रहेंगे और साम-दाम-दंड-भेद की नीति से चीन जैसे मानवता के दुश्मन राक्षस देश पराजित होंगे।
भारत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वह विश्व गुरु था है और हमेशा रहेगा।मेरे देशवासी महान है और मेरा देश अतुलनीय सनातनी महान है। वीर शिवाजी,सुभाष चंद्र बोस, अशफाक उल्ला, वीर सावरकर अमर रहे।
कोरोना वॉरियर्स जिंदाबाद।