कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को वाम मोर्चा और कांग्रेस से बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील को दोनों दलों ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस को पेशकश की है कि वह बीजेपी के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर कांग्रेस में विलय कर ले।

इस पर बीजेपी ने कहा कि तृणमूल की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘‘अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में बीजेपी के खिलाफ हैं तो उन्हें सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए। ममता बनर्जी ही बीजेपी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं।’’

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में बीजेपी के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया।।उन्होंने कहा, ‘‘हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। अगर ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ लड़ने की इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है। ’ गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी।

टीएमसी और भाजपा दोनो को हरांऐगे

मामले में माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि ‘‘यह दिखाता है कि वाम मोर्चा अभी भी महत्वपूर्ण है। वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हराएंगे। बीजेपी भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है। ’

पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस की ‘हताशा’ को दर्शाता है। तृणमूल कांग्रेस हमसे अकेले नहीं लड़ सकती, इसलिए वे अन्य दलों से मदद मांग रही है। इससे साबित होता है कि बीजेपी ही तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विकल्प है।’’

जाहिर है कि कांग्रेस और वाम मोर्चा ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। माकपा नीत वाम मोर्चा को लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी, जबकि कांग्रेस को उसकी कुल 42 सीटों में से पश्चिम बंगाल से सिर्फ दो सीटें मिली थीं।

वहीं दूसरी ओर बीजेपी को 18 सीटें मिली थी, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं। राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन को कुल 294 में से 76 सीटें मिली थीं, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटें मिली थीं।

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