गलवान घाटी के पास भारत-चीन के सैनिकों में लगभग आधी सदी के बाद सोमवार की रात हुई हिंसक झड़प में, जिसमे एक भी गोली नहीं चली थी, भारतीय सेना के कर्नल और जेसीओ सहित तीन शहीद हो गये। उधर चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार इस झड़प मे चीन के पांच जवान मारे गये हैं और 11 गंभीर रूप से जख्मी हैं। 1975 के बाद यह पहला मौका है कि जब दोनो देश ऐसी खूनी झड़प में उलझे हैं। इसमे पत्थरों और डंडो का प्रयोग हुआ।

भारत और चीन के बीच पिछले काफी वक्त से लद्दाख में जारी विवाद अब और भी गहरा गया है। यह घटना तब हुई जब सोमवार रात को गलवान घाटी के पास दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद सबकुछ सामान्य होने की स्थिति आगे बढ़ रह थी।

बताया जा रहा है कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि चीन की तरफ भी कुछ सैनिकों को चोट पहुंची है। इस झड़प के दौरान किसी तरह की कोई गोली नहीं चली है, यानी हाथापाई ही हुई थी।

भारतीय सेना की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘गलवान घाटी में सोमवार की रात को डि-एस्केलेशन की प्रक्रिया के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस दौरान भारतीय सेना के एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए हैं। दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस वक्त इस मामले को शांत करने के लिए बड़ी बैठक कर रहे हैं’।

चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान

इस घटना के बाद चीनी विदेश मंत्रालय का आधिकारिक बयान सामने आया है । बीजिंग ने उलटे भारत पर घुसपैठ करने का आरोप लगाया है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, बीजिंग का आरोप है कि भारतीय सैनिकों ने बॉर्डर क्रॉस करके चीनी सैनिकों पर हमला किया था। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत ऐसी स्थिति में एकतरफा कार्रवाई न करे।

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच मई महीने की शुरुआत से ही लद्दाख बॉर्डर के पास तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था। चीनी सैनिकों ने भारत की ओर से तय LAC को पार कर लिया था और पेंगोंग झील, गलवान घाटी के पास आ गए थे। चीन की ओर से यहां पर करीब पांच हजार सैनिकों को तैनात किया गया था, इसके अलावा सैन्य सामान भी इकट्ठा किया गया था।

दोनों देशों की सेनाओं की ओर से लंबे वक्त से इस विवाद को खत्म करने की ओर कदम बढ़ाए जा रहे थे। 6 जून के बाद से कई राउंड की बात चल रही थी, CO से लेकर लेफ्टिनेंट जनरल लेवल तक के अफसरों के बीच बातचीत जारी थी। जिसके बाद तय हुआ था कि दोनों देशों की सेना कुछ किमी. तक पीछे हटी थीं। लेकिन जब ये प्रक्रिया चल रही थी, उसी दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई।

दोनों देशों के बीच लगातार तनाव की स्थिति के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लगातार बयान दिया था। राजनाथ सिंह की ओर से कहा गया था कि चीन के साथ सैन्य और डिप्लोमेट के लेवल पर बात की जा रही है, दोनों देश शांति चाहते हैं और देश का सम्मान झुकने नहीं दिया जाएगा।

भारत की ओर से लगातार मांग की जा रही थी कि चीनी सेना अप्रैल से पहले की स्थिति को लागू करे। यानी अप्रैल से पहले जहां पर चीनी सेना थी, वहां पर वापस पहुंचे। चीन की ओर से LAC रेखा को अलग माना जाता है, लेकिन भारत LAC को अलग रेखा तक लेकर चलता है। इसी को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद होता रहा है। लगभग 50 साल के बाद ऐसी स्थिति बनी है, जब LAC के पास भारत और चीन के बीच इस तरह की हिंसक स्थिति पैदा हुई है।

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