कोरोना वायरस महामारी भारत में एक बार फिर अपने खतरनाक रूप में आ गई है। हर तरफ इस समय ऑक्‍सीजन की कमी से त्राहि-त्राहि मची हुई है। कई हिस्‍सों में ऑक्‍सीजन और बेड की कमी से अस्‍पताल जूझते हुए नजर आ रहे हैं। संकट की इस घड़ी में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने उस टेक्‍नोलॉजी की पेशकश की है जिसके जरिए सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के जवानों को हर पल ऑक्‍सीजन मिलती है।

कम ऑक्‍सीजन की वजह से चली जाती है याददाश्‍त

सियाचिन दुनिया का हाइएस्‍ट वॉर जोन है। ऐसे में यहां पर तैनात सैनिकों को कई तरह के मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है। सियाचिन का तापमान आम दिनों में न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सिस से कम रहता और सर्दियों में -60 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। यहां पर तैनात जवानों को दुश्मन के साथ-साथ मौसम और ऑक्‍सीजन की कमी से भी जूझना पड़ता है। यहां ऑक्सीजन कम है और कभी-कभी ऑक्‍सीजन का लेवल कम होने से सैनिकों की याद्दाश्त तक कमजोर होने की आशंका रहती है। ऑक्‍सीजन में कमी की वजह से जवानों को बोलने में दिक्कत, फेफड़ों में संक्रमण और ऐसी कई समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है।

दी जाएगी सप्‍लीमेंटल ऑक्‍सीजन

डीआरडीओ के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने रक्ष मंत्रालय को जानकारी दी है कि ऐसे और प्‍लांट्स इंडस्‍ट्री की तरफ से सप्‍लाई किए जा सकते हैं ताकि अस्‍पतालों में ऑक्‍सीजन की जरूरत को पूरा किया जा सके। रेड्डी की तरफ से उस सप्‍लीमेंटल ऑक्‍सीजन डिलीवरी सिस्‍टम की पेशकश भी की गई है जिसे सियाचिन जैसी जगहों पर तैनात सैनिकों के लिए प्रयोग किया जाता है। डीआरडीओ की बेंगलुरु स्थित डिफेंस बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्‍ट्रो मेडिकल लैबोरेट्री की तरफ से सप्‍लीमेंटल ऑक्‍सीजन सप्‍लाई की जाएगी। इसकी वजह से कोविड-19 के मरीज को ऑक्‍सीजन की कमी से होने वाली हिपोक्‍सिया की स्थिति में जाने से बचाया जा सकेगा।

दिल्‍ली, मुंबई में सियाचिन जैसे हालात!

अगर मरीज इस स्थिति में पहुंच जाता है तो फिर उसके लिए बचना बहुत मुश्किल हो जाता है। हिपोक्सिया की स्थिति में ऑक्‍सीजन का स्‍तर इतना गिर जाता है कि शरीर की कोशिकाओं तक उसका पहुंचना असंभव हो जाता है। ऐसे में शरीर के लिए जरूरी ऊर्जा की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है। कोविड-19 में संक्रमित मरीज के शरीर में जब ऑक्‍सीजन का स्‍तर गिरता है तो वो इसी स्थिति में पहुंच जाता है। डीआरडीओ के मुताबिक इस समय कोविड-19 की जो स्थिति है, उसमें मरीज की हालत बिल्‍कुल उन सैनिकों के जैसी ही है जो सियाचिन में तैनात हैं।

जल्‍द बाजार में उपलब्‍ध होगा प्रॉडक्‍ट

डीआरडीओ को उम्‍मीद है कि जल्‍द ही यह प्रोडक्‍ट जो SpO2 यानी Blood Oxygen Saturation पर आधारित है, बाजार में उपलब्‍ध होगा। कोविड-19 से लड़ाई के उस रक्षा तकनीक की मदद से भी ऑक्‍सीजन जनरेट की जाएगी जिसे ऑन बोर्ड ऑक्‍सीजन जनरेशन सिस्‍टम के तौर पर जाना जाता है। इस टेक्‍नोलॉजी को तेजस फाइटर जेट में ऑक्‍सीजन सप्‍लाई की जाती है। इस तकनीक की मदद से जो ऑक्‍सीजन तैयार की जाएगी उसे असैन्‍य मकसद के लिए प्रयोग किया जाएगा। इस ऑक्‍सीजन जनरेशन प्‍लांट की मदद से हर एक मिनट में 1,000 लीटर ऑक्‍सीजन का उत्‍पादन किया जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here