अनिता चौधरी

देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार द्वारा कई फैसले लिए गए हैं। उनमें से एक है कृषि के क्षेत्र में क्लस्टर बेस्ड खेती और उसके उत्‍पादों के निर्यात को बढ़ावा देना। यानी जिस राज्य में जिस कृषि उत्‍पाद का उत्‍पादन अधिक है, उसे ज्यादा से ज्यादा प्रोमोट किया जाएगा, ताकि वहां के किसानों की आमदनी बढ़ सके। जैसे बिहार का ताल मखाना, कर्नाटक का रागी, तेलंगाना की हल्दी, आदि। इस पद्धति को बढ़ावा आर्थिक पैकेज में 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। लोकल टू ग्लोबल की ओर एक एक बड़ी पहल है।

इस पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी अपनी मुहर लगा दी है। 10,000 हजार करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ अखिल भारतीय स्तर पर असंगठित क्षेत्र के लिए एक नये केन्द्र प्रायोजित “सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना (एफएमई)” को स्वीकृति दी गई है। इस व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों द्वारा साझा किया जाएगा।

क्या है योजना का उद्देश्य

इसके अंतर्गत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के द्वारा वित्त अधिगम्यता में वृद्धि करने का उद्देश्‍य है। इससे लक्ष्य उद्यमों के राजस्व में वृद्धि के साथ खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। समर्थन प्रणालियों की क्षमता को सुदृढ़ बनाया जाएगा और साथ ही असंगठित क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में पारगमन होगा। खास बात यह है कि इस परियोजना के तहत महिला उद्यमियों और आकांक्षापूर्ण जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। अपशिष्ट से धन अर्जन गतिविधियों को प्रोत्साहन के साथ जनजातीय जिलों लघु वन उत्पाद पर ध्यान दिया जाएगा।

क्या है क्लस्टर बेस्‍ड प्रोमोशन स्‍कीम

भौगोलिक, जलवायु और मिट्टी संबंधी विविधता के आधार पर हर स्थान की कुछ विशेषता होती है। जिसके माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उसे क्लस्टर कहते हैं। उस स्थानों पर क्लस्टर से जुड़े उद्योगों और अन्य संस्थाओं की एक शृंखला होती है।

आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा करते वक्‍त वित्त मंत्री निर्मला ने कहा था कि बिहार में मखाना क्लस्टर, उत्तर प्रदेश में आम, जम्मू-कश्मीर में केसर, उत्तर पूर्व में बांस की खेती, आंध्र प्रदेश में मिर्च और तमिलनाडु में टेपिओका पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।” इसी क्रम में एक नजर डालते हैं उन राज्यों पर जहां के प्रसिद्ध उत्पाद क्लस्टर के जरिए वोकल फॉर लोकल और लोकल से ग्लोबल तक का सफर जल्‍द तय करने के दावेदार हैं और आत्मनिर्भर भारत की एक मजबूत कड़ी बन सकते हैं।

मखाना : बिहार मखाना का प्रमुख उत्पादक राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत हिस्सा है। उम्मीद है कि 2019-2023 तक मखाना के बाजार का आकार 72.5 मिलियन डालर हो जाएगा। यह भारत, चीन, जापान और थाईलैंड में बहुत लोकप्रिय है। देश में लगभग 15000 हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती होती है। जिसमें 1,20,000 मीट्रिक टन मखाना की पैदावार होती है, जो प्रोसेसिंग के बाद 40,000 टन मखाना की पैदावार देती है। वहीं किसानों के उत्पादन का अनुमानित मूल्य 250 करोड़ रुपये है, जबकि यह 550 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करता है।

केसर: सबसे महंगे मसालों में से एक केसर है, जो उत्पादकों और व्यापारियों के लिए बहुत ही आकर्षक है। इसका वार्षिक उत्पादन जम्मू और कश्मीर राज्य के साथ लगभग सोलह हजार किलोग्राम है, जो भारत में केसर उगाने वाले राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है।

बड़ी इलायची -यह सिक्किम में उगाई जाने वाली मुख्य फसल में से एक है, जिसका वार्षिक उत्पादन 4000 से 5000 मीट्रिक टन है। इसका प्रयोग मसाले के रूप में करते हैं। सऊदी अरब और कुवैत में बाडी इलाइची की बहुत अधिक मांग है।

हल्दी – तेलंगाना और मेघालय भारत में हल्दी का सबसे बड़े उत्पादक है, अकेले तेलंगाना सालाना 294.56 हजार टन का उत्पादन करता है, जिसमें भारत का कुल उत्पादन 31.12 प्रतिशत है, इसके बाद मेघालय और महाराष्ट्र आते हैं ।

सूखी मिर्च -यह सबसे अधिक मांग वाली खाद्य सामग्री है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक के बाद सूखी मिर्च के उत्पादन में आंध्र प्रदेश शीर्ष पर है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु मिलकर इसकी खेती के तहत कुल क्षेत्रफल का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं।

कचाई नींबू: मणिपुर के प्रसिद्ध नींबू, जिसे “कचाई नींबू” के रूप में जाना जाता है। यह मणिपुर में उगाए गए सभी फलों में से एक है, जिसे जियो जियोग्राफिरल इंडिकेशन (जीआई) रजिस्ट्रेशन का टैग प्रदान किया गया है। यह व्यापक रूप से मणिपुर के उखरूल जिले के कचई गांव में उगाया जाता है। इसके अलावा इस निम्बू का उत्पादन नार्थ-ईस्ट के कई भागों में होता है । इस निम्बू का बाहरी देशों में काफी डिमांड है ।

ये वो कृषि उत्पाद हैं जिनका बाहरी देशों में जबरदस्त डिमांड है । अगर क्लस्टर खेती के जरिये सरकार जरा सा भी इन कृषि उत्पादों को बढ़ावा देती है तो भारत के इन लोकल को ग्लोबल बन कर वैश्विक बाजार इन जगह बनाते देर नहीं लगेगी ।
भारतीय कृषि उत्पाद, कैसे धूम मचाएंगे वैश्विक बाजार में, वो कौन कौन से प्रोडक्ट होंगे और सरकार की क्या है पूरी योजना इस कड़ी में हमारा लेख आगे भी जारी रहेगा । क्रमशः

अगली कड़ी में हम बात करेंगे कुछ फलों की और विश्व मे उनकी कितनी है मांग।

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