श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों ने चुन चुन कर अल्पसंख्यकों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया है। इससे घाटी में आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। स्थानीय प्रशासन से लेकर केंद्र सरकार हरकत में आ गई है और बैठकें करके आगे की रणनीति पर काम कर रही है।

ताज्जुब तो इस बात का है कि देश के हर नागरिक के लिए अपने दिल में दर्द रखने का दावा करने वाले राहुल गांधी, प्रियंका, पी. चिदंबरम, मुलायम-अखिलेश, मायावती, लालू यादव, चिराग पासवान, ममता बनर्जी तक कोई कश्मीर में इन हत्याओं की निंदा नहीं करता। बस, रस्मी बयान जारी करते रहे हैं। महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला, जीए मीर स्थानीय सियासी सरोकारों के बीच दो लाइन की निंदा कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। इतना ही नहीं यह सब सुरक्षा एजेंसियों और केंद्र सरकार की नाकामी पर बात करते हुए आतंकियों को एक तरह से सही ठहरा जाते हैं।

पता चला है कि कश्मीर घाटी में नागरिकों को टारगेट बनाकर उनकी हत्या किए जाने के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को तीन महीने से ही पहले मजबूत इनपुट थे। इसके अलावा, इन हमलों के पीछे पाकिस्तान का रोल भी सामने आया है।

सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों के पास इनपुट थे कि आतंकवादी तीन समूहों को निशाना बना रहे हैं। ये समूह थे बीजेपी/अपनी पार्टी के नेता; अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित और सिख और सरकार समर्थक आवाजें जिन्हें आतंकवादी सहयोगी कहते हैं।

सुरक्षा ग्रिड के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “हर किसी को सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती है। आतंकवादी आसान लक्ष्य चुन रहे हैं, लेकिन अंततः यह जम्मू-कश्मीर है जहां पर आतंकवादियों को दूर रखने के लिए जवाबी हमले करने होंगे।”

कश्मीर घाटी में हुई आतंकी वारदातों को लेकर अधिकारियों ने आगे कहा कि आतंकवादी ‘पैटर्न’ के आधार पर लोगों को निशाना बना रहे थे और स्थिति अचानक गंभीर दिख रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”इसके साथ ही आतंकियों ने कश्मीर घाटी में रह रहे लोगों को आतंकित कर कश्मीरी पंडितों की वापसी को रोकने की कोशिश की है।” उन्होंने कहा, “आतंकियों ने घाटी में सामान्य स्थिति की धारणा को दूर करने के लिए नये कश्मीर के विचार को निशाने पर लिया है।”

दुनियाभर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश के लिए कुख्यात पाकिस्तान का घाटी में हुए हमलों में भी रोल सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने के लिए हाइब्रिड आतंकवादियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि ये आतंकवादी ज्यादातर सामान्य नौकरियों में लगे हुए हैं और छोटे हथियारों का इस्तेमाल कर टारगेट हत्याओं के लिए आतंकवादी समूहों द्वारा इनका इस्तेमाल किया जाता है.

आंकड़ों के मुताबिक, इस साल कश्मीर में कम-से-कम 25 नागरिक मारे गए। इन 25 में से तीन गैर-स्थानीय थे, दो कश्मीरी पंडित थे और 18 मुसलमान थे। सबसे ज्यादा हमले श्रीनगर में हुए, जहां पर 10 ऐसी घटनाएं हुईं। इसके बाद पुलवामा और अनंतनाग में चार-चार घटनाएं हुई हैं। इनपुट्स से पता चल रहा है कि अल्पसंख्यक दहशत की स्थिति में हैं और कुछ 50-60 गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडित परिवारों के अगले 24 घंटों में दक्षिण कश्मीर से जम्मू जाने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर परिवारों के पास जम्मू में आवास हैं।

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