सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की मांग करते हुए कहा गया है कि यह न केवल समानता,सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ाने के साथ एक न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने के लिए आवश्यक है। इतना ही नही यह जातिवाद, सांप्रदायिकता, वर्गवाद, कट्टरवाद, अलगाववाद के खतरे को कम करने के लिए भी आवश्यक है।
याचिका के मुताबिक सार्वभौमिक शिक्षा की भूमिका को हमारे गणतंत्र की स्थापना के बाद से स्वीकार किया गया। जिसके जरिए सभी के लिए समान अवसर के प्रावधानों के माध्यम से लोकतंत्र के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत किया जा सके।
याचिका दाखिल करने वाले निखिल उपाध्याय के मुताबिक सामान्य ड्रेस कोड न केवल हिंसा को कम करेगा,बल्कि एक सकारात्मक शिक्षा के वातावरण को भी बढ़ावा देगा। इतना ही नहीं यह सामाजिक-आर्थिक मतभेदों के कारण होने वाली हिंसा के अन्य रूपों को भी कम करेगा।