15 अगस्त भारत के लिए आजादी का दिन है लेकिन सन 1975 की इस तारीख पर जम्हूरियत के प्रहरी बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति बंग बंधु Shaikh Mujiburrahman शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार की नृशंस हत्या में शामिल बांग्लादेश सेना के एक पूर्व अधिकारी को शनिवार-रविवार की रात फांसी दे दी गई। इस हत्या के दोषी को लगभग 45 साल फरार रहने के बाद इसी मंगलवार को ढाका में गिरफ्तार किया गया था। इस गलीज इन्सान ने साथियों के साथ जिस बेरहमी से मेरा था उसे देखते हुए हत्यारे की सजा फंदे पर लटकाने भर की ही थी।
Dhaka central jail ढाका सेंट्रल जेल के जेलर महबूबुल इस्लाम ने बताया कि सेना के पूर्व कैप्टन Abdul Maajid अब्दुल माजिद को रविवार लगते ही रात 12.01 (स्थानीय समय) पर फांसी दे दी गई।
उल्लेखनीय है Bangladesh बांग्लादेश के संस्थापक बंग बंधु की हत्या 1975 में एक तख्ता पलट अभियान में हुई थी। सेना के कई अधिकारी इसमें शामिल थे। हत्या के बाद अब्दुल माजिद फरार हो गया था। बांग्लादेश के home minister Asadujjama Khan Kamaal गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने बताया कि माजिद ने खुद हत्या की बात स्वीकार की थी। वह नवंबर 1975 में ढाका जेल में चार लोगों की हत्या में भी शामिल था।
कोलकाता में 23 साल छिपा रहा माजिद
अभियोजन पक्ष के वकील के अनुसार माजिद फरारी के दौरान करीब 23 साल Kolkata कोलकाता में छिपकर रहा था। वह पिछले महीने की 15 या 16 तारीख को Dhaka ढाका पहुंचा जहां उसे military police सेना पुलिस ने पिछले मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को उसकी पत्नी और चार रिश्तेदारों ने जेल में उसके साथ करीब ढाई घंटे मुलाकात की। इससे एक दिन पूर्व बांग्लादेश के President Muhammad Abdul Haamid राष्ट्रपति मुहम्मद अब्दुल हामिद ने माजिद की mercy petition दया याचिका ठुकरा दी थी। ढाका के district and session judge जिला और सत्र न्यायाधीश हेलालुद्दीन चौधरी ने coronavirus कोरोना वायरस फैलने के कारण चल रही छुट्टी के दौरान Supreme Court उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत के बाद डेथ वारंट जारी किया था।
माजिद ने कुबूल की थी हत्या की बात
माजिद ने सार्वजनिक रूप से कुबूल किया था कि उसने बंगबंधु रहमान की हत्या की है। शेख़ मुजीबुर्रहमान की हत्या में शामिल रहे उन दर्जनों लोगों में से माजिद एक है जिनकी फांसी की सजा को 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। 1998 में निचली अदालत ने कुछ सैन्य अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी जो संग बंधु और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या में शामिल रहे थे।
बच गई थीं बेटी शेख हसीना
PM Shaikh Hasina पीएम शेख हसीना बंग बंधु रहमान की बेटी हैं। हसीना इस घटना में बच गई थीं क्योंकि उस वक्त वह अपनी बहन के साथ Germany जर्मनी के दौरे पर थीं। उस घटना में रहमान के परिवार में सिर्फ यही दो बहनें जिंदा बच पाई थीं। बताया जाता है कि उनकी बाद की सरकारों ने रहमान के हत्यारों को कूटनीतिक मिशन पर विदेश भेज कर राजकीय संरक्षण दिया था।